नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) लोकसभा ने सोमवार को आयकर संबंधी उस नये विधेयक को बिना किसी चर्चा के तीन मिनट में ही पारित कर दिया, जो आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा। यह नया विधेयक लोगों को निश्चित समय के अंदर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाने पर भी ‘टीडीएस रिफंड’ का दावा करने की अनुमति प्रदान करेगा।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों की नारेबाजी के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर (संख्यांक 2) विधेयक, 2025 लोकसभा में पारित करने के लिए पेश किया, जिसे सदन ने ध्वनिमत से अनुमोदित कर दिया।
सीतारमण ने फरवरी में पेश किये गए आयकर विधेयक, 2025 को 8 अगस्त को वापस ले लिया था। उन्होंने सदन में सोमवार को विधेयक का अद्यतन संस्करण पेश किया, जिसमें प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है।
नया विधेयक मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा, जिसमें बीते कुछ साल में कई संशोधन किये गए थे। नया विधेयक वर्तमान अधिनियम के मूल कर प्रावधानों को बरकरार रखता है और मुख्य रूप से भाषा को सरल बनाने और अनावश्यक प्रावधानों को हटाने का प्रावधान करता है।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है, ‘‘प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गई हैं। इसके अलावा, हितधारकों से ऐसे बदलावों के बारे में सुझाव प्राप्त हुए हैं जो प्रस्तावित कानूनी अर्थ को और अधिक सटीक रूप से व्यक्त करेंगे।’’
सरकार ने गत 13 फरवरी को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति ने इसमें कुछ बदलाव की सिफारिश की थी। उक्त विधेयक को शुक्रवार को सदन में वापस ले लिया गया।
प्रवर समिति ने सुझाव दिया था कि सरकार को उन लोगों के लिए टीडीएस दावों से संबंधित प्रावधानों में बदलाव करना चाहिए जो तय समयसीमा तक आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल नहीं कर पाते।
संशोधित विधेयक के अनुसार, लोगों को मूल आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रदान की गई वैधानिक समयसीमा के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करने की स्थिति में टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति होगी।
विधेयक के कथन में कहा गया है, ‘‘मसौदे की प्रकृति, वाक्यांशों के संरेखण, परिणामी परिवर्तनों और परस्पर संदर्भों में सुधार किये गए हैं। इसलिए, सरकार ने प्रवर समिति की रिपोर्ट के अनुसार आयकर विधेयक, 2025 को वापस लेने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेने के लिए आयकर (संख्यांक 2) विधेयक, 2025 तैयार किया गया है।’’
भाषा
वैभव सुभाष
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