नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) सरकार ने बाकू में आयोजित ‘सीओपी-29’ के परिणामों पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि 2035 तक प्रतिवर्ष 300 अरब अमेरिकी डॉलर का नया वैश्विक जलवायु वित्त लक्ष्य विकासशील देशों की वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ‘‘अपर्याप्त’’ है।
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि जलवायु वित्त पर नया सामूहिक लक्ष्य ‘‘विकासशील देशों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर ध्यान नहीं देता है’’ और यह ‘‘सामान्य, लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) और समानता के सिद्धांत से असंगत है।’’
उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत वित्त पर स्थायी समिति के अनुमानों का हवाला दिया, जिसमें 2030 तक इन जरूरतों को प्रति वर्ष 455 से 584 अरब अमेरिकी डॉलर के बीच बताया गया है।
विभिन्न देशों ने सार्वजनिक, निजी, द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और वैकल्पिक स्रोतों से 2035 तक प्रतिवर्ष कम से कम 300 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने का लक्ष्य अपनाया है।
आलोचकों का यह भी कहना है कि 300 अरब अमेरिकी डॉलर का एक हिस्सा निजी निवेश या ऋण से आ सकता है, न कि विकसित देशों से नये और अतिरिक्त सार्वजनिक वित्त से, जो रियायती या अनुदान-आधारित सहायता प्रदान करने के बजाय ऋण का बोझ बढ़ा सकता है।
भाषा सुभाष अविनाश
अविनाश