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Tuesday, August 12, 2025

संसदीय समिति ने मनरेगा के लिए आवंटन न बढ़ाने के औचित्य पर सवाल उठाए

Newsसंसदीय समिति ने मनरेगा के लिए आवंटन न बढ़ाने के औचित्य पर सवाल उठाए

नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) संसद की एक समिति ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत धन आवंटन न बढ़ाने के पीछे सरकार के औचित्य पर सोमवार को सवाल उठाया और इस बात पर चिंता व्यक्त की कि 2023-24 के संशोधित अनुमानों के बाद से इस योजना के लिए आवंटन ‘स्थिर’ रखा गया है।

ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग से संबंधित संसदीय समिति ने संसद के दोनों सदनों में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस योजना का उचित कार्यान्वयन ‘समय पर और पर्याप्त’ आवंटन पर निर्भर करता है।

समिति ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा, ‘‘समिति इस बात को लेकर चिंतित है कि 2023-24 के संशोधित अनुमानों के बाद से मनरेगा के तहत धन आवंटन 86,000 करोड़ रुपये पर स्थिर रखा गया है।’’

समिति ने कहा कि चूंकि यह योजना ग्रामीण गरीबों और समाज के वंचित वर्गों को रोजगार सुनिश्चित कराती है, इसलिए इसका उचित कार्यान्वयन पूरी तरह से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को समय से पर्याप्त धन आवंटित किये जाने पर निर्भर करता है।

समिति ने कहा, ‘‘इसे ध्यान में रखते हुए, समिति 2023-24 से मनरेगा के तहत धन आवंटन में वृद्धि न करने के औचित्य को समझने में असमर्थ है।’’

समिति ने कहा कि चूंकि मनरेगा एक मांग-आधारित योजना है, इसलिए उसने ग्रामीण विकास विभाग (डीओआरडी) को सुझाव दिया था कि धन आवंटन की आवश्यकता पर नये सिरे से विचार किया जाना चाहिए और तदनुसार संशोधित अनुमान चरण में धन जुटाया जा सकता है।

डीओआरडी ने कहा कि राज्यों को धन जारी करना एक सतत और मांग-आधारित प्रक्रिया है।

डीओआरडी ने कहा कि केंद्र जमीनी स्तर पर काम की वास्तविक आवश्यकता के आधार पर धन की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, और जब भी अतिरिक्त वित्तीय आवश्यकताएं उत्पन्न होती हैं, मंत्रालय आवश्यक धन के प्रावधान के लिए वित्त मंत्रालय के साथ संपर्क बनाए रखता है।

समिति ने कहा, ‘‘…समिति का मानना है कि इस योजना का निर्बाध कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए नोडल मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच और अधिक संगठित और समन्वित कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है।’’

समिति ने आगे कहा, ‘‘इसके मद्देनजर, समिति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मनरेगा के लिए धन आवंटन बढ़ाने की अपनी सिफारिश दोहराती है।’’

बजट दस्तावेजों के अनुसार, ‘‘वर्ष 2023-24 में मनरेगा पर 89,153.71 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि 2024-25 में इस प्रमुख योजना के लिए महज 86,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और बाद में संशोधित अनुमान भी 86,000 करोड़ रुपये ही था। वर्ष 2025-26 में भी इस योजना के लिए आवंटन फिर से 86,000 करोड़ रुपये ही रखा गया है।’’

भाषा सुरेश सुरेश दिलीप

दिलीप

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