नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) संसद की एक स्थायी समिति ने जनजातीय कार्य मंत्रालय पर एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) और जनजातीय छात्रों के लिए खेल अवसंरचना के निर्माण में देरी के लिए नाराजगी जाहिर की है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसद की स्थायी समिति ने सोमवार को संसद में पेश अपनी 2024-25 की अनुदान मांगों पर सरकारी कार्रवाई संबंधी 10वीं रिपोर्ट में कहा कि स्वीकृत 717 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में से केवल 476 ही क्रियाशील हैं और ज्यादातर नये स्कूल अब भी किराये की इमारतों से संचालित हो रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 87 नये स्कूल भवन पूरे हो चुके हैं, 222 पर काम जारी है, जबकि 120 परियोजनाएं पूर्व-निर्माण चरण में हैं।
समिति ने राष्ट्रीय जनजातीय छात्र शिक्षा समाज (एनईएसटीएस) से सभी पुराने और नये स्कूलों को निर्धारित समयसीमा के भीतर अपने भवनों से संचालित करने के लिए ‘‘अधिक ठोस, परिणामोन्मुख और सक्रिय’’ दृष्टिकोण अपनाने को कहा।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में खेलों के उत्कृष्टता केंद्रों के निर्माण की धीमी प्रगति पर भी समिति ने चिंता जताई। प्रस्तावित 15 केंद्रों में से पहले चरण के लिए केवल पांच स्थान तय किए गए हैं, जिन्हें जून 2026 तक चालू करने का लक्ष्य है। शेष 10 दिसंबर 2026 तक पूरे करने का लक्ष्य है, लेकिन इनके स्थान अभी तय नहीं हुए हैं।
समिति ने ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ (डीए-जेजीयूआ) के तहत हुई प्रगति का स्वागत किया, लेकिन आयुष और कौशल विकास मंत्रालयों में लंबित अनुमोदनों से क्रियान्वयन में देरी की आशंका जताई। ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ बहु-मंत्रालयी मिशन है जिसका लक्ष्य 63,000 से अधिक गांवों में बुनियादी ढांचे और सेवाओं की खाई को पाटना है।
समिति ने तीव्र समन्वय पर जोर दिया है ताकि सड़कों से लेकर आवास, स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी सुविधा तक सभी लक्ष्यों को मिशन की 2024 से 2028 तक की अवधि में पूरा किया जा सके।
रिपोर्ट में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए भूमि की आवश्यकता कम करने, परियोजना निधि के लिए एस्क्रो खाता खोलने और खेल सुविधा योजना में भारतीय खेल प्राधिकरण को शामिल करने जैसे कदमों की सराहना की गई।
समिति ने आगाह भी किया है कि सख्त निगरानी और मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय के बिना जनजातीय कल्याण के ये प्रमुख कार्यक्रम अपने लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे।
भाषा मनीषा माधव
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