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Tuesday, August 12, 2025

संसदीय समिति ने डीडीए में एससी/एसटी के रिक्त पदों पर जताई चिंता

Newsसंसदीय समिति ने डीडीए में एससी/एसटी के रिक्त पदों पर जताई चिंता

नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित पदों की रिक्तियों, पदोन्नति के लंबित मामलों और आवास व वाणिज्यिक इकाइयों के कम आवंटन को लेकर संसद की एक स्थायी समिति ने कड़ी आपत्ति जतायी है।

संसद में पेश अपनी चौथी रिपोर्ट में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति ने कहा कि डीडीए में समूह ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ में एससी के 1,158 और एसटी के 703 पद रिक्त हैं, जबकि प्राधिकरण ने अपने स्वीकृत पदों की संख्या 12,932 से घटाकर 5,883 करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने तक भर्ती पर रोक लगा रखी है।

समिति ने कहा, ‘‘भर्ती केवल मौजूदा स्वीकृत पदों के आधार पर की जा सकती है, न कि प्रस्तावित पदों की संख्या के आधार पर। संशोधित पद संरचना प्रस्ताव के मंजूर होने तक भर्ती रोकना, नौकरी की तलाश में जुटे एससी और एसटी अभ्यर्थियों के साथ गंभीर अन्याय है।’’

समिति के अनुसार, मौजूदा स्वीकृत पदों के तहत डीडीए में समूह ‘ए’ में ही एससी के 183 और एसटी के 211 पद रिक्त हैं।

समूह ‘बी’ में एससी के 123 और एसटी के 59, जबकि समूह ‘सी’ में एससी के 144 और एसटी के 106 पदों के लंबित मामलों पर भी समिति ने चिंता जतायी। ‘‘योग्य उम्मीदवार उपलब्ध नहीं’’ होने के डीडीए के तर्क को समिति ने ‘‘रूढ़िवादी’’ और अनुचित बताया और पदोन्नति कोटा पूरा करने के लिए रियायत देने की सिफारिश की।

डीडीए ने पिछले पांच वर्षों में जातीय भेदभाव की कोई शिकायत नहीं मिलने की बात कही, लेकिन सांसदों ने आशंका जतायी कि कर्मचारी शिकायत दर्ज कराने में हिचक सकते हैं।

समिति ने ऑनलाइन शिकायत पोर्टल, पखवाड़े में निस्तारण की समय-सीमा, मामले की स्थिति सार्वजनिक करने और समन्वय अधिकारियों व रोस्टर रखरखाव के लिए स्पष्ट जवाबदेही तय करने की सिफारिश की।

आवास के मामले में समिति ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में डीडीए के केवल 19.17 प्रतिशत फ्लैट एससी और 4.74 प्रतिशत फ्लैट एसटी को आवंटित हुए। इन समुदायों के लिए केवल दो विशेष योजनाएं — आंबेडकर आवास योजना (1989) और 2019 की एससी/एसटी आवास योजना — चलाई गईं।

समिति के अनुसार, इन योजनाओं में खराब कनेक्टिविटी और वहनीयता के कारण 40 प्रतिशत से अधिक आवंटन रद्द हुए। समिति ने मूल्य में रियायत, बिना ब्याज ईएमआई विकल्प और बिक न पाए फ्लैटों को आरक्षित श्रेणी में बनाए रखने की विशेष मुहिम चलाने की सिफारिश की।

रिपोर्ट में समिति ने कहा कि वाणिज्यिक आवंटन में भी अपेक्षित लक्ष्य नहीं दिखा, जहां पिछले एक दशक में एससी समुदाय के केवल 88 लोगों को और एसटी समुदाय के 36 लोगों को इकाइयां/दुकानें आवंटित हुईं।

समिति ने जोरशोर से विज्ञापन, मूल्य कटौती, ईएमआई विकल्प और बिक्री न होने पर आरक्षित इकाइयों को एससी/एसटी उद्यमियों को किराये पर देने की भी सिफारिश की।

समिति ने अनुच्छेद 46 का हवाला देते हुए डीडीए को एससी/एसटी समुदायों के आर्थिक हितों को बढ़ावा देने और उन्हें शोषण से बचाने का दायित्व याद दिलाया तथा आगाह किया कि लक्षित सुधारों के अभाव में दिल्ली के विकास में उनका योगदान अधूरा रह जाएगा।

भाषा मनीषा माधव

माधव

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