नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता संबंधी स्थायी समिति ने प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं में ‘‘निधि के निरंतर कम उपयोग’’ को लेकर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) की आलोचना की और कहा कि तत्काल, लक्षित सुधारों के बिना, चालू वित्त वर्ष के लक्ष्य प्राप्त नहीं होंगे।
वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान मांगों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर अपनी नौवीं रिपोर्ट में, समिति ने 2021-22 से 2023-24 तक दिव्यांगजनों को सहायक उपकरणों की खरीद/फिटिंग के लिए सहायता (एडीआईपी), दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए योजना (एसआईपीडीए), दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना (डीडीआरएस) और दिव्यांगता छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं में ‘‘निरंतर कम खर्च की प्रवृत्ति’ का उल्लेख किया।
सोमवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि प्रक्रियागत बदलावों के बावजूद मंत्रालय गहन संरचनात्मक मुद्दों का समाधान करने में विफल रहा, विशेष रूप से एसआईपीडीए में, जहां ‘‘वर्ष दर वर्ष व्यय, आवंटन से बहुत पीछे रहा।’’
एसआईपीडीए के लिए समिति ने राज्यों और कार्यान्वयन एजेंसियों से प्रस्तावों में देरी, उपयोग प्रमाणपत्रों के लंबित रहने और कुछ क्षेत्रों, विशेष रूप से पूर्वोत्तर से पर्याप्त प्रस्तावों की कमी को चिह्नित किया।
इसने एक ‘‘समयबद्ध, योजनावार सुधारात्मक कार्य योजना’’ बनाने की अपील की।
समिति ने सुगम्यता लेखा परीक्षकों के पैनल और निजी कंपनियों के साथ साझेदारी के बावजूद सुगम्य भारत अभियान (एआईसी) की धीमी गति पर भी चिंता व्यक्त की।
रिपोर्ट में राज्यों के लिए निश्चित समय-सीमा और प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन के साथ ‘मिशन-मोड’ दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया गया है। समिति ने भविष्य में अधिक लचीले लक्ष्य निर्धारित करने की भी सिफारिश की।
समिति ने भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) के आधुनिकीकरण, प्रधानमंत्री दिव्यांग केंद्रों के विस्तार और शैक्षिक पाठ्यक्रमों में सुगम्यता को शामिल करने के उपायों की सराहना की। साथ ही, इस बात पर जोर दिया कि इन उपायों को कुशल निधि प्रवाह, समय पर परियोजना अनुमोदन और ठोस जमीनी परिणामों के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
समिति ने मंत्रालय को लंबित सिफारिशों पर तीन महीने के भीतर कार्रवाई संबंधी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
भाषा सुभाष माधव
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