नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) लोकसभा में मंगलवार को भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 को संक्षिप्त चर्चा के बाद विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच पारित कर दिया गया तथा केंद्रीय पत्तन परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि यह विधेयक 21वीं सदी में भारत के समुद्री क्षेत्र को पुन: स्थापित करने का एक रणनीतिक प्रयास है।
यह विधेयक बजट सत्र के दौरान 28 मार्च को पेश किया गया था जिसमें बंदरगाहों से संबंधित कानून को समेकित करने, एकीकृत बंदरगाह विकास को बढ़ावा देने, व्यापार को आसान बनाने और भारत की तटरेखा का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने संबंधी प्रावधान हैं।
इस विधेयक को 1908 के अधिनियम की जगह लेने के लिए लाया गया है और इसके तहत एक समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को फरवरी में मंजूरी प्रदान की थी।
मंत्री ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच, विधेयक पर सदन में हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘‘भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 इक्कीसवीं सदी में भारत के समुद्री क्षेत्र को पुन: स्थापित करने का एक रणनीतिक प्रयास है।’’
इससे पहले, चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के दिलीप सैकिया ने एसआईआर मुद्दे पर सदन में नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा कि वह पूर्वोत्तर के विषय पर बोल रहे हैं, इसलिए उनकी बात को वे गौर से सुनें।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत को इस मंत्रालय के माध्यम से आज जो महत्व मिल रहा है, उससे बांग्लादेश, म्यांमा, भूटान और नेपाल के साथ व्यापार का एक नया द्वार खुल गया है।
भाजपा के दर्शन सिंह चौधरी ने कहा कि विधेयक में विवाद निवारण कमेटी की व्यवस्था की गई है और छह महीने में समाधान के प्रावधान को शामिल किया गया है।
तेलुगु देशम पार्टी के एम श्री भरत ने भी चर्चा में भाग लेते हुए विधेयक का समर्थन किया।
एसआईआर मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों की नारेबाजी के बीच विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है, ‘‘प्रस्तावित कानून अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का प्रभावी ढंग से निर्वहन किये जाने को सुनिश्चित करेगा, जिससे हमारी घरेलू प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए अधीनस्थ कानून बनाने के लिए पर्याप्त शक्ति मिलती है।’’
इसका उद्देश्य बंदरगाहों के विकास को एकीकृत करना है ताकि भारत के समुद्री तटों का बेहतर उपयोग किया जा सके।
विधेयक किसी प्रमुख बंदरगाह या इसके अलावा किसी अन्य बंदरगाह को अधिसूचना द्वारा ‘‘मेगा पोर्ट’’ के रूप में वर्गीकृत करने का प्रावधान करता है।
विधेयक एक नये न्यायिक तंत्र के निर्माण का प्रावधान करता है जिसके लिए प्रत्येक राज्य सरकार को राज्य के भीतर प्रमुख बंदरगाहों, बंदरगाह उपयोगकर्ताओं और बंदरगाह सेवा प्रदाताओं के अलावा अन्य बंदरगाहों के बीच उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद के निपटारे के लिए एक विवाद समाधान समिति का गठन करने की आवश्यकता होगी।
इसमें बंदरगाहों की सुरक्षा और संरक्षण से संबंधित शक्तियों को बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।
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