(फ्लोरा हुई, मेलबर्न विश्वविद्यालय, पीट ए विलियम्स, कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट)
मेलबर्न, 12 अगस्त (द कन्वरसेशन) ‘ओजेम्पिक’, ‘वेगोवी’ और ‘मौंजारो’ जैसी दवाओं ने दुनिया भर में चिकित्सकों द्वारा मधुमेह और मोटापे के प्रबंधन के तरीके को बदलकर रख दिया है।
इन दवाओं को सेमाग्लूटाइड और टिरजेपेटाइड के नाम से भी जाना जाता है।
ये दवाएं हमारे शरीर में जीएलपी-1 हार्मोन के प्रभाव की तरह ही काम करती हैं। ये दवाएं भूख और भोजन की इच्छा, दोनों को सीमित करती है, जिससे लोगों को वजन कम करने और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
हालांकि आज (मंगलवार को) प्रकाशित दो नए अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि इन दवाओं को इस्तेमाल करने वाले लोगों में गंभीर नेत्र रोगों और दृष्टि हानि का जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है।
अगर आप ये दवाएं ले रहे हैं या लेने पर विचार कर रहे हैं, तो आपके लिए यह जानना आवश्यक है।
क्या खतरा हो सकता है?
‘नॉन-आर्टेरिटिक एंटीरियर इस्केमिक ऑप्टिक न्यूरोपैथी’ (एनएआईओएन) एक असामान्य, लेकिन गंभीर नेत्र रोग है और यह तब होता है, जब ऑप्टिक तंत्रिका में रक्त का प्रवाह अचानक कम हो जाता है या अवरुद्ध हो जाता है। इसे ‘नेत्र आघात’ भी कहते हैं।
इस दुर्लभ बीमारी ‘एनएआईओएन’ का सटीक कारण अब तक स्पष्ट नहीं है और वर्तमान में इसका उपचार भी उपलब्ध नहीं है। मधुमेह रोगियों में इस बीमारी के विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
धीरे-धीरे विकसित होने वाली अन्य नेत्र स्थितियों के विपरीत इस बीमारी में अचानक देखने की क्षमता कम हो जाती है और लोगों को दर्द तक नहीं होता है। मरीजों को आमतौर पर इस स्थिति का एहसास तब होता हैं, जब वे जागते हैं और पाते हैं कि उनकी एक आंख की रोशनी चली गई है।
इस बीमारी का शिकार होने पर कुछ सप्ताह में देखने की क्षमता कमजोर हो जाती है और धीरे-धीरे स्थिर हो जाती है। इस बीमारी से उबरने थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन लगभग 70 प्रतिशत लोगों को अपनी आंखों की रोशनी में कोई सुधार महसूस नहीं होता।
पिछले शोधों से क्या सामने आया?
वर्ष 2024 के एक अध्ययन में पाया गया कि मधुमेह के लिए सेमाग्लूटाइड लेने वाले लोगों में इस बीमारी के विकसित होने की संभावना चार गुना ज्यादा थी। वहीं वजन घटाने के लिए इसे लेने वालों में यह जोखिम लगभग आठ गुना ज्यादा था।
यूरोपीय औषधि एजेंसी ने जून में निष्कर्ष निकाला कि सेमाग्लूटाइड दवाओं का यह एक ‘बहुत ही दुर्लभ’ दुष्प्रभाव है, जो 10,000 में से एक व्यक्ति में हो सकता है।
हालांकि, हाल के अध्ययनों से पता चला कि जोखिम हमारे पहले अनुमान से कम हो सकते हैं।
‘नॉन-आर्टेरिटिक एंटीरियर इस्केमिक ऑप्टिक न्यूरोपैथी’ के अलावा ऐसे भी प्रमाण मिले हैं, जो यह दर्शाते हैं कि जीएलपी-1 दवाएं मधुमेह संबंधी नेत्र रोग (डायबिटिक रेटिनोपैथी) को और बिगाड़ सकती हैं।
यह तब होता है, जब उच्च रक्त शर्करा का स्तर रेटिना की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे दृष्टि हानि हो सकती है। यह विरोधाभासी लग सकता है, लेकिन रक्त शर्करा में तेजी से कमी रेटिना की नाजुक रक्त वाहिकाओं को भी अस्थिर कर सकती है और रक्तस्राव का कारण बन सकती है।
क्या कहते हैं नये अध्ययन?
हाल ही में प्रकाशित दो अध्ययनों में अमेरिका में दो वर्ष से रह रहे टाइप 2 मधुमेह रोगियों की जांच की गई। इन अध्ययनों में 1,59,000 से 1,85,000 लोगों के मेडिकल रिकॉर्ड देखे गए।
एक अध्ययन में पाया गया कि सेमाग्लूटाइड या टिरजेपेटाइड पहले की तुलना में ‘नॉन-आर्टेरिटिक एंटीरियर इस्केमिक ऑप्टिक न्यूरोपैथी’ के विकसित होने के जोखिम को कम करते हैं।
इन दवाओं का इस्तेमाल करने वाले 1,59,000 टाइप2 मधुमेह पीड़ितों में से 35 लोगों (0.04 प्रतिशत) में यह बीमारी विकसित हुई, जबकि तुलनात्मक समूह में 19 रोगी (0.02 प्रतिशत) इस बीमारी का शिकार हुए।
शोधकर्ताओं ने ‘अन्य ऑप्टिक तंत्रिका विकार’ विकसित होने का जोखिम भी बढ़ा हुआ पाया।
इसके विपरीत, दूसरे अध्ययन में जीएलपी-1 दवाएं लेने वाले लोगों में इस बीमारी का जोखिम नहीं बढ़ा।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने जीएलपी-1 दवाएं लेने वाले लोगों में डायबिटिक रेटिनोपैथी के विकसित होने के जोखिम में मामूली वृद्धि देखी गयी।
जीएलपी-1 दवाएं लेने वालों के लिए इसका क्या अर्थ है?
एनएआईओएन एक गंभीर स्थिति है लेकिन हमें मधुमेह देखभाल, मोटापे के उपचार, हृदयाघात के जोखिम को कम करने व जीवन को लंबा बनाने में जीएलपी-1 दवाओं के इन जोखिमों और लाभ के बीच संतुलन बनाना होगा।
‘नॉन-आर्टेरिटिक एंटीरियर इस्केमिक ऑप्टिक न्यूरोपैथी’ के शिकार लोगों को अगर स्लीप एपनिया, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी समस्याएं हैं, तो उन्हें ये दवाएं शुरू करने से पहले चिकित्सक से सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श करना चाहिए।
शोध में यह भी सामने आया कि आपके हृदय स्वास्थ्य में सुधार इस बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल का उचित प्रबंधन आपके ह्रदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और ये सभी स्थितियां ऑप्टिक तंत्रिका को पोषण देने वाली छोटी रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती हैं।
द कन्वरसेशन जितेंद्र सुरेश
सुरेश