नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) पर्यावरण मंत्रालय की सलाहकार समिति ने तेलंगाना सरकार के उस प्रस्ताव को ‘सैद्धांतिक मंजूरी’ देने की सिफारिश की है, जिसमें नगरकुरनूल ज़िले के अमराबाद बाघ अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र से पांच गांवों को स्थानांतरित करने के लिए 1,501.88 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि को गैर-अधिसूचित करने को कहा गया है।
राज्य सरकार ने कहा है कि यह स्थानांतरण स्वैच्छिक है और इसका उद्देश्य वन्यजीवों के आवास को सुदृढ़ करना, मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा में सुधार करना है। प्रस्ताव के अनुसार, इस कार्य के लिए 27 प्रजातियों के कुल 1,54,977 पेड़ काटे जाएंगे।
समिति की 30 जुलाई को हुई बैठक के विवरण के मुताबिक, प्रस्ताव में अचम्पेट संभाग के बाचरम आरक्षित वन के कंपार्टमेंट 465, 466, 467, 468, 469, 470, 471, 472 और 473 में वन भूमि के उपयोग में बदलाव का अनुरोध किया गया था, ताकि बाघ अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र से कोल्लमपेंटा, ताटीगुंडल पेंटा, सरलापल्ली, कुडीचिन्थला बैलू और वटवरलापल्ली गांवों को स्थानांतरित किया जा सके।
प्रस्ताव में दो चरणों में ग्रामीणों को हटाने की बात की गई है। पहले चरण में, सरलापल्ली (चरण-1), कुडीचिन्थला बैलु, कोल्लमपेंटा और ताटीगुंडल पेंटा के 417 परिवारों को स्थानांतरित किया जाएगा, जिसके लिए 546 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी। नगरकुरनूल के संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) के अनुसार, प्रति परिवार 15 लाख रुपये की दर से, पहले चरण का बजट 62.55 करोड़ रुपये है।
दूसरे चरण में, वटवरलापल्ली और सरलापल्ली (चरण-2) के 836 परिवारों को स्थानांतरित किया जाएगा, जिसके लिए 955.88 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी। दूसरे चरण का बजट 125.4 करोड़ रुपये है।
डीएफओ ने सूचित किया कि ग्राम सभाओं, जिला-स्तरीय समिति, राज्य-स्तरीय समिति और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से मंजूरी ले ली गई है।
अधिकारी के मुताबिक, ये पांचों गांव वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38(5) के तहत अधिसूचित अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र में स्थित हैं और इन्हें स्थानांतरित करने की आवश्यकता है।
सलाहकार समिति की बैठक के विवरण के अनुसार, नगरकुरनूल के कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट ने सत्यापित किया है कि जिले में पुनर्वास के लिए कोई सरकारी राजस्व भूमि उपलब्ध नहीं है। प्रस्तावित स्थल मुख्य क्षेत्र से लगभग आठ किलोमीटर दूर और आरक्षित क्षेत्र की सीमा से बाहर है।
भाषा धीरज सुरेश
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