(वर्षा सागी)
नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) जून में आवारा कुत्ते के हमले में छह साल की भांजी छवि को गंवाने वाली कृष्णा देवी ने कहा कि जो उनपर बीती है, वो दुश्मन पर भी न बीते। उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद उन्हें लगता है कि परिवार के सदस्य की मौत बेकार नहीं गई है।
उनके शोकाकुल परिवार के लिए, दिल्ली के सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें आश्रय स्थलों में रखने का उच्चतम न्यायालय का सोमवार का आदेश न केवल एक नीतिगत निर्णय है, बल्कि यह अकल्पनीय क्षति से उपजे न्याय का क्षण भी है।
छवि की मौसी कृष्ण देवी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह सिर्फ यही प्रार्थना कर सकती हैं कि किसी और बच्चे के साथ ऐसा न हो। उन्होंने कहा “किसी को भी उस क्रूर स्थिति से नहीं गुजरना चाहिए जो हमने झेला।”
छवि को 30 जून को उत्तर-पश्चिम दिल्ली के पूठ कलां में अपनी मौसी के घर जाते समय एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था। परिवार ने बताया कि कुत्ते ने बिना किसी उकसावे के हमला किया था, जिससे वह घर के दरवाजे पर ही खून से लथपथ हो गई थी। उसे रेबीज रोधी इलाज के लिए डॉ. बी. आर. आंबेडकर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन जुलाई के मध्य में उसकी हालत बिगड़ गई।
स्कूल से वापस आते ही 21 जुलाई को उसे उल्टियां होने लगीं, उसके अंगों में कमज़ोरी आ गई और उसने बोलना बंद कर दिया। चार दिन बाद उसकी मौत हो गई। उसे टीके की चौथी खुराक लगनी थी।
आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज की ‘अत्यंत गंभीर’ स्थिति को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर ‘यथाशीघ्र’ आश्रय स्थलों में स्थायी रूप से स्थानांतरित करें। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को आश्रय स्थल पर ले जाने में बाधा डालता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
छवि के परिवार के लिए यह फैसला राहत की एक किरण लेकर आया। देवी कहती हैं, ‘हमने टीवी पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बारे में सुना। सबसे पहले हमें राहत मिली। अब मुझे उम्मीद है कि वे इन जानवरों को ऐसी जगह ले जाएंगे जहां वे हमें नुकसान न पहुंचा सकें।’
उन्होंने कहा, “जैसे गायों के लिए गौशालाएं बनाई जाती हैं, वैसे ही इन कुत्तों के लिए भी कुछ बनाया जाना चाहिए। हम जानवरों से नहीं लड़ रहे हैं; हम बस उन्हें अलग रखना चाहते हैं ताकि वे हमें नुकसान न पहुंचाएं। और जो लोग उन्हें खाना खिलाते हैं, उन्हें जवाबदेह बनाया जाना चाहिए — वे उन्हें सड़कों पर खाना खिलाकर चले जाते हैं, और ये कुत्ते झुंड बनाकर बच्चों का पीछा करते हैं।’
एक और परिवार कुत्तों के हमलों का पीड़ित है। अशोक विहार निवासी धीरज आहूजा बताते हैं कि उनका सात साल का बेटा कभी आवारा कुत्तों को खाना खिलाता था, लेकिन उसे इलाके के एक कुत्ते ने बुरी तरह घायल कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘हम उच्चतम न्यायालय के इस आदेश का स्वागत करते हैं। यह एक बहुत अच्छा, लेकिन देर से उठाया गया कदम है। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले मेरे बेटे को 10 इंजेक्शन लेने पड़े। जिस बच्चे ने कभी इन कुत्तों को खाना खिलाया था, उस पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया।’
भाषा
नोमान संतोष
संतोष