नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी (आप) नेताओं अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी की प्रति अदालत के रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने आरोपी नेताओं द्वारा दायर एक आवेदन पर यह आदेश पारित किया, जिन्होंने अनिवार्य अभियोजन मंजूरी न होने का हवाला देते हुए मामले में ईडी के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के सुनवाई अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने पीठ को बताया कि एजेंसी द्वारा दायर पहले छह आरोपपत्रों में से किसी में भी उनके मुवक्किल का नाम आरोपी के रूप में नहीं था। उन्होंने दावा किया कि ईडी के पास अभियोजन की अनिवार्य मंजूरी नहीं हैं।
अधिवक्ता ने दावा किया, ‘‘अनिवार्य अभियोजन स्वीकृति के अभाव के कारण कार्यवाही प्रभावित हुई।’’
ईडी का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि अपेक्षित मंजूरी प्राप्त कर ली गई है और उसे सुनवाई अदालत के समक्ष रखा गया है।
न्यायाधीश ने ईडी की दलील पर संज्ञान लिया और उसे 12 नवंबर को अगली सुनवाई तक मंजूरी की प्रति रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली की आबकारी नीति में संशोधन करने में अनियमितताएं बरती गईं और आप सरकार के तहत कुछ लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
विवादित दिल्ली आबकारी नीति को 17 नवंबर, 2021 को लागू किया गया और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद सितंबर 2022 में रद्द कर दिया गया।
भाषा धीरज प्रशांत
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