चेन्नई, 13 अगस्त (भाषा) तीन बार राज्यसभा सदस्य रह चुके वी मैत्रेयन ने बुधवार को अन्नाद्रमुक नेतृत्व पर आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की मौजूदगी में सत्तारूढ़ द्रमुक में शामिल हो गए।
इसके तुरंत बाद, अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने मैत्रेयन को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
मैत्रेयन ने दावा किया कि अन्नाद्रमुक के लिए, ‘दिल्ली (भाजपा) स्विच बोर्ड है’ जो मामलों का फैसला करती है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्य विपक्षी दल में कई नेता असंतुष्ट हैं।
हाल ही में, अन्नाद्रमुक छोड़कर, पूर्व मंत्री ए अनवर राजा और पूर्व विधायक वी आर कार्तिक थोंडैमन भी द्रमुक में शामिल हो चुके हैं।
अन्नाद्रमुक के संगठन सचिव का पद संभाल रहे मैत्रेयन यहां द्रमुक मुख्यालय ‘अन्ना अरिवालयम’ में, दुरईमुरुगन और के एन नेहरू और उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन सहित वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हुए।
अक्टूबर 2022 में, मैत्रेयन को निष्कासित नेता, पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम का समर्थन करने के लिए अन्नाद्रमुक से निष्कासित कर दिया गया और वह जून 2023 में भाजपा में शामिल हो गए थे।
उन्होंने 12 सितंबर, 2024 को भाजपा छोड़ दी और अन्नाद्रमुक में फिर से शामिल हो गए।
पेशे से मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, 69 वर्षीय मैत्रेयन ने 1990 के दशक में भगवा पार्टी में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और दो दशकों से भी ज़्यादा समय तक वे अन्नाद्रमुक में रहे। 2002 से अन्नाद्रमुक ने उन्हें तीन बार उच्च सदन भेजा। राज्यसभा में उनका आखिरी कार्यकाल 2013 से 2019 तक था।
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने पार्टी क्यों छोड़ी, मैत्रेयन ने पत्रकारों से कहा कि अन्नाद्रमुक जिस तरह से काम कर रही है, वह ठीक नहीं है और यहां तक कि अन्नाद्रमुक-भाजपा गठबंधन की घोषणा भी केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह ने ही की थी।
उन्होंने कहा कि वह अन्नाद्रमुक से खुश नहीं थे और कुछ लोगों ने पार्टी को अपने नियंत्रण में कर लिया है। पूर्व सांसद ने दावा किया कि हालांकि उन्हें संगठन सचिव का पद दिया गया था, लेकिन पार्टी के कामों में उनका इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘इसीलिए मैंने अन्नाद्रमुक छोड़ दी।’
मैत्रेयन ने कहा कि सत्तारूढ़ द्रमुक में शामिल होने का उनका फैसला ‘तमिल भूमि, भाषा और राज्य की गरिमा (द्रमुक का नारा मन, मोझी, मानम कप्पोम) की रक्षा के लिए था।’
अन्नाद्रमुक महासचिव पलानीस्वामी के चुनाव प्रचार को लेकर उन्होंने दावा किया कि भारी भीड़ ‘नकली’ थी। उन्होंने कहा कि इतनी भीड़ देखकर, अन्नाद्रमुक प्रमुख खुद को पार्टी संस्थापक एम जी रामचंद्रन और दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के समकक्ष नेता मानते हैं।
एक कहावत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पलानीस्वामी कभी भी राज्य में उन दो दिवंगत नेताओं के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद नहीं कर सकते।
मैत्रेयन ने दावा किया कि अन्नाद्रमुक में ‘कई भ्रम’ हैं, जिनमें शीर्ष नेतृत्व और प्रतिभा के उपयोग से संबंधित भ्रम शामिल हैं, और कई पदाधिकारी असंतुष्ट हैं।
इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि ‘दिल्ली (भाजपा) वह स्विच बोर्ड है जो निर्णय लेता है और अन्नाद्रमुक नेतृत्व उनके निर्देशों के पालन को बाध्य है।’
मैत्रेयन ने दावा किया कि इतना ही नहीं, शाह ने कहा कि अगर राजग 2026 का विधानसभा चुनाव जीतता है तो एक ‘गठबंधन सरकार’ बनेगी और उन्होंने एक ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ भी पेश किया है।
उन्होंने दो-भाषा नीति सहित कई मुद्दों पर अन्नाद्रमुक और भाजपा के अलग-अलग रुख की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसलिए कोई स्पष्टता नहीं है।
मुख्यमंत्री स्टालिन के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि द्रमुक कुल 234 विधानसभा सीटों में से 200 से अधिक सीटें जीतेगी और सत्ता बरकरार रखेगी।
भाषा
मनीषा पवनेश
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