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Thursday, August 14, 2025

एलओसी पर सीमा सुरक्षा मजबूत कर रही स्मार्ट बाड़, रोबोटिक म्यूल और विशेष वाहन

Newsएलओसी पर सीमा सुरक्षा मजबूत कर रही स्मार्ट बाड़, रोबोटिक म्यूल और विशेष वाहन

(सोमिल अबरोल)

सुंदरबनी (जम्मू कश्मीर), 13 अगस्त (भाषा) एआई-संचालित प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति के कारण बदलते सुरक्षा परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाते हुए सेना जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए स्मार्ट बाड़, ‘रोबोटिक म्यूल’ और दुर्गम इलाकों में चल सकने वाले वाहनों जैसे अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग कर रही है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

क्वाडकॉप्टर, उन्नत निगरानी उपकरण, बुलेटप्रूफ वाहन, आधुनिक हथियार और अंधेरे में देखने में सहायक उपकरण सहित अन्य उपकरणों का 7 से 10 मई के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

स्वतंत्रता दिवस से पहले सुंदरबनी के दूरदराज के क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना के अदम्य साहस को देखने के लिए मीडियाकर्मियों को एक दुर्लभ अवसर प्रदान करते हुए सेना ने इस समारोह को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए त्रि-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की है तथा सीमा पर गश्त और निगरानी बढ़ा दी है।

अधिकारियों ने बताया कि ‘आर्मडो’ और सभी प्रकार के वाहनों जैसे उन्नत सैन्य वाहनों को शामिल किये जाने से सेना की त्वरित प्रतिक्रिया टीमों को सबसे चुनौतीपूर्ण और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में तेजी से कार्रवाई करने में मदद मिलेगी, ताकि वे किसी भी खतरे को, विशेष रूप से घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों से उत्पन्न खतरे को बेअसर कर सकें।

अभ्यास के दौरान, सैनिकों ने प्रदर्शित किया कि कैसे वे किसी क्षेत्र की घेराबंदी करते हैं और आतंकवादियों से निपटते हैं तथा इस दौरान वाहनों की गति, सुरक्षा और अनुकूलन क्षमता को दर्शाया गया।

महिंद्रा आर्मर्ड लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल (एएलएसवी) या आर्मडो एक हल्का और हवाई मार्ग से कहीं भी ले जाये जाने योग्य बख्तरबंद वाहन है जिसे सेना और विशेष बलों के लिए डिजाइन किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि स्वदेश विकसित ‘रोबोटिक म्यूल’ युद्ध के मैदान में निर्णायक भूमिका निभाने वाले के रूप में उभर रहा है। उन्होंने बताया कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत एयरोआर्क द्वारा डिजाइन किया गया एमयूएलई (मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट) चार पैरों वाला रोबोट है, जो बर्फ, रेगिस्तान, पानी और अन्य चुनौतीपूर्ण इलाकों में भी अपना काम बखूबी करने में सक्षम है।

सेना के एक अधिकारी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन ‘रोबोटिक म्यूल’ ने निगरानी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने बताया कि उन्नत सेंसरों से लैस यह उपकरण रसद आपूर्ति कर सकता है, विस्फोटकों का पता लगा सकता है और टोह लेने का काम कर सकता है। इसका मॉड्यूलर डिजाइन विभिन्न युद्धक्षेत्र भूमिकाओं के लिए अनुकूलन की अनुमति देता है और यह समूह में भी काम कर सकता है, जिससे एक ‘‘मिनी रोबोट सेना’’ बनती है जो सैनिकों के लिए जोखिम कम करते हुए संचालन दक्षता बढ़ाती है।

अधिकारी ने कहा कि सेना निगरानी करने, टोह लेने और सैन्य कार्रवाई में ड्रोन का उपयोग तेजी से बढ़ा रही है।

उन्होंने कहा कि इनमें से, मिनी मानवरहित वायुयान (यूएवी) और निगरानी ड्रोन संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण उपकरण बनकर उभरे हैं।

उन्होंने कहा कि सेना ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह में विघ्न डालने के आतंकवादियों के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए नियंत्रण रेखा पर गश्त बढ़ा दी है और त्रि-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की है।

दुश्मन की गतिविधियों की कड़ी निगरानी के लिए नियमित गश्त के अलावा, सेना दुश्मन की हर गतिविधि पर नज़र रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है जबकि अतिरिक्त सुरक्षा के लिए श्वान दस्ते तैनात किए जा रहे हैं।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश

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