मुंबई, 13 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि सरकार लोगों के खाने-पीने के विकल्पों को नियंत्रित करने में रुचि नहीं रखती है। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ शहरों में कसाईखानों और मांस की दुकानों के बंद होने को लेकर चल रहे विवादास्पद बहस को ‘अनावश्यक’ करार दिया।
मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस सहित कुछ विशेष अवसरों पर कसाईखाने बंद करने की अनुमति देने वाले 37 साल पुराने शासी संकल्प (जीआर) की मौजूदगी से अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि ऐसे फैसले नगर निगम खुद लेते हैं।
महाराष्ट्र में कुछ नगर निकायों ने 15 अगस्त को कसाईखानों और मांस बेचने वाली दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है।
फडणवीस ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘राज्य सरकार इस बात में दिलचस्पी नहीं रखती कि कौन क्या खाता है। हमारे सामने कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि शाकाहारी लोग नपुंसक होते हैं। ऐसी बकवास बातें तुरंत बंद होनी चाहिए।’’
कुछ नगर निगमों द्वारा 15 अगस्त को बूचड़खाने बंद करने के आदेश के बारे में पूछे जाने पर, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राज्य ने ऐसा कोई निर्णय कभी नहीं लिया। अगस्त 1988 में एक शासी संकल्प (जीआर) जारी किया गया था। नगर निगम ऐसे निर्णय (बूचड़खाने बंद करने का आदेश) स्वयं लेते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भी इतने लंबे समय से ऐसे किसी जीआर की मौजूदगी की जानकारी नहीं थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भी मीडिया के माध्यम से इसके बारे में पता चला। इस तरह के निर्णय तब लिये गए थे जब (शिवसेना यूबीटी नेता) उद्धव ठाकरे (नवंबर 2019-22 जून तक) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे।’’
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार को कुछ नगर निकायों द्वारा 15 अगस्त को बूचड़खानों और मांस बेचने वाली दुकानों को बंद करने के आदेश पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह का प्रतिबंध लगाना गलत है।
मुंबई के पास ठाणे ज़िले के कल्याण-डोंबिवली, छत्रपति संभाजीनगर और नागपुर के नगर निकायों ने 15 अगस्त को मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी किया है। ऐसी खबरें भी हैं कि नासिक ज़िले के मालेगांव नगर निगम ने भी इसी तरह का आदेश जारी किया है।
भाषा रंजन सुरेश
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