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Thursday, August 14, 2025

आरबीआई की समिति ने वित्तीय क्षेत्र में कृत्रिम मेधा के जोखिम कम करने के उपाय सुझाए

Newsआरबीआई की समिति ने वित्तीय क्षेत्र में कृत्रिम मेधा के जोखिम कम करने के उपाय सुझाए

मुंबई, 13 अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को कृत्रिम मेधा (एआई) के इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम करने के लिए एक नीति तैयार करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि बिना सुरक्षा उपायों के यह जोखिम बढ़ा सकता है।

आरबीआई ने पिछले साल दिसंबर में वित्तीय क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (फ्री-एआई) के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए एक रूपरेखा विकसित करने को लेकर समिति का गठन किया था।

केंद्रीय बैंक द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट में, समिति ने वित्तीय क्षेत्र में एआई के उपयोग का मार्गदर्शन करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। इसका उद्देश्य संबंधित जोखिमों को दूर करते हुए इसकी क्षमता का उपयोग करना है।

समिति ने एआई को अपनाने के लिए आधारभूत सिद्धांतों के रूप में काम करने के लिए सात सूत्र विकसित किए हैं। ये सात सूत्र हैं: विश्वास ही आधार है, सबसे पहले लोग, नवोन्मेष को तरजीह, निष्पक्षता और समानता, जवाबदेही, डिजाइन द्वारा समझने योग्य और सुरक्षा, लचीलापन और स्थिरता।

समिति ने एक दूरदर्शी दृष्टिकोण की सिफारिश की है, जिसमें छह रणनीतिक स्तंभों के तहत 26 कार्रवाई योग्य सिफारिशें शामिल हैं।

रिपोर्ट में एक ऐसे वित्तीय परिवेश की परिकल्पना की गयी है जहां नवोन्मेष को जोखिम के बिना प्रोत्साहित किया जा सके।

रिपोर्ट कहती है, ‘‘भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए, एआई विकासात्मक चुनौतियों से निपटने के नए तरीके प्रस्तुत करता है।’’

मल्टी-मॉडल, बहुभाषी एआई उन लाखों लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने में सक्षम हो सकता है जो इससे वंचित हैं। सही तरीके से उपयोग किए जाने पर, एआई काफी उपयोगी और लाभदायक हो सकता है।

इसमें कहा गया, ‘‘अगर बिना किसी सुरक्षा उपायों के इसका उपयोग किया जाता है, तो यह मौजूदा जोखिमों को बढ़ा सकता है और नुकसान के नए रूप पेश कर सकता है।’’

समिति ने एआई जोखिमों को कम करने के लिए, बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के निदेशक मंडल से मंजूरी प्राप्त एआई नीति तैयार करने और एआई से जुड़े कार्यों को लेकर उपभोक्ताओं को जागरूक करने की सिफारिश की है।

समिति के अन्य सुझावों में साइबर सुरक्षा गतिविधियों और घटना की सूचना देने की व्यवस्था का विस्तार और एआई को लेकर मजबूत संचालन व्यवस्था तैयार करना शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, एआई को विनियमित करने की चुनौती सही संतुलन बनाने में है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इस प्रौद्योगिकी से समाज को लाभ मिले। साथ ही इसके जोखिमों को कम किया जाए।

वित्तीय क्षेत्र में, एआई में ग्राहक जुड़ाव के नए रूपों को खोलने, कर्ज मूल्यांकन, जोखिम निगरानी, धोखाधड़ी का पता लगाने के वैकल्पिक तरीकों को सक्षम करने और नए पर्यवेक्षी उपाय प्रदान करने की क्षमता है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘साथ ही, एआई को अपनाने में तेजी से पूर्वाग्रह और व्याख्या की कमी जैसे नए जोखिम पैदा हो सकते हैं। साथ ही आंकड़ों की सुरक्षा, साइबर सुरक्षा आदि से जुड़ी मौजूदा चुनौतियां भी बढ़ सकती हैं।’’

भाषा रमण अजय

अजय

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