नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों से संबंधित शीर्ष अदालत के फैसले को लेकर देश भर में व्यापक विरोध के बाद उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की एक नयी पीठ बृहस्पतिवार को स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करेगी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने 11 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर ‘‘जल्द से जल्द’’ आश्रय स्थलों पर स्थायी रूप से स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे।
जब आवारा कुत्तों से संबंधित एक अन्य मामले में कुछ याचिकाकर्ताओं ने प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई के समक्ष 11 अगस्त के फैसले का हवाला देते हुए अपनी याचिका का उल्लेख किया, तो उन्होंने कहा कि वह ‘‘इस पर गौर करेंगे’’।
न्यायमूर्ति पारदीवाला और न्यायमूर्ति महादेवन की पीठ ने 11 अगस्त को कहा था कि कुत्तों के काटने की घटनाओं ने ‘‘बेहद गंभीर’’ स्थिति पैदा कर दी है। इसने दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को ‘‘जल्द से जल्द’’ आश्रय स्थलों पर स्थायी रूप से स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।
बुधवार को वकील ने न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा मई 2024 में पारित आदेश का हवाला दिया, जिसमें आवारा कुत्तों के मुद्दे से संबंधित याचिकाओं को संबंधित उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित कर दिया गया था।
‘कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स’ (इंडिया) की याचिका में दावा किया गया कि पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के तहत आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी को रोकने के लिए नियमित नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम अनिवार्य किया गया है, लेकिन इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने 11 अगस्त के अपने फैसले में यह भी कहा कि समय के साथ कुत्तों के लिए आश्रय स्थलों की संख्या बढ़ानी होगी। इसने दिल्ली के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे छह से आठ सप्ताह के भीतर लगभग 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाना शुरू करें।
इसके अलावा, पीठ ने चेतावनी दी कि यदि पुनर्वास अभियान में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न की गई तो किसी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें अदालत अवमानना कार्यवाही भी शुरू कर सकती है।
भाषा नेत्रपाल माधव
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