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Wednesday, August 20, 2025

दिल्ली की अदालत ने धोखाधड़ी के मामले में ‘दृश्यम 2’ के निर्माता को अग्रिम जमानत दी

Newsदिल्ली की अदालत ने धोखाधड़ी के मामले में 'दृश्यम 2' के निर्माता को अग्रिम जमानत दी

नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने फिल्म ‘दृश्यम 2’ की चीनी डबिंग और रिलीज अधिकारों से संबंधित धोखाधड़ी के एक मामले में निर्माता कुमार मंगत पाठक को अग्रिम जमानत दे दी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ प्रताप सिंह लालेर ने पाठक की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता राजेंद्र कुमार गोयल को चीन, हांगकांग और ताइवान के लिए ‘दृश्यम 2’ के चीनी डबिंग और रिलीज अधिकारों के संबंध में बी. महाप्रसाद सेवक के साथ सह-निवेश समझौते में 4.3 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए कथित तौर पर राजी किया गया था।

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि सेवक के लगभग 75 लाख रुपये पैनोरमा स्टूडियोज इंटरनेशनल लिमिटेड को कथित तौर पर हस्तांतरित कर दिये गए, जिसके पाठक निदेशक थे।

पाठक ने कई तर्कों के साथ आरोपों का खंडन किया, जिसमें यह भी कहा गया कि स्टूडियो के कॉरपोरेट खाते में कथित हस्तांतरण ‘गुगली’ नामक एक गुजराती फिल्म परियोजना में निवेश के लिए था, न कि ‘दृश्यम 2’ के चीनी भाषा अधिकारों के लिए।

बारह अगस्त के आदेश में, अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा पैनोरमा स्टूडियो के साथ 14 नवंबर 2024 को किए गए पत्राचार में ‘‘प्रत्यक्ष प्रलोभन’’ का आरोप नहीं लगाया गया था और अभियोजन ने हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता के संबंध में कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया था।

अदालत ने कहा, ‘‘हालांकि आरोप गंभीर हैं और इनमें बड़ी रकम शामिल है, लेकिन ऐसा कोई दावा नहीं है कि आवेदक (पाठक) ने प्राथमिकी दर्ज होने के बाद फरार होने, सबूत नष्ट करने या गवाहों को धमकाने का प्रयास किया है।’’

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यह मामला लिखित रिकॉर्ड पर आधारित है, जिसमें अनुबंध, बैंक हस्तांतरण और पत्राचार शामिल हैं, जो जांच अधिकारी (आईओ) के पास मौजूद थे।

याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि यह निर्देश दिया जाता है कि गिरफ्तारी की स्थिति में आवेदक कुमार मंगत पाठक को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की जमानत राशि जमा करने पर जमानत पर रिहा किया जाएगा।

अदालत ने जमानत के लिए अन्य शर्तें भी लगाईं, जिनमें जांच में शामिल होना और जांच अधिकारी के साथ सहयोग करना, आवश्यकता पड़ने पर अदालत में उपस्थित होना और मामले के तथ्यों से अवगत किसी भी व्यक्ति को कोई धमकी या प्रलोभन न देना शामिल है।

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस साल पाठक और अन्य के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश सहित विभिन्न आरोपों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

भाषा सुभाष प्रशांत

प्रशांत

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