लखनऊ, 14 अगस्त (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के अंतिम दिन बृहस्पतिवार को ‘श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक, 2025’ समेत चार विधेयक पारित किये गये। इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अनिश्चित काल के लिए सदन स्थगित करने की घोषणा की।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने सदन के पटल पर विधेयक रखे, जिसे बहुमत के आधार पर सतीश महाना ने पारित करने की घोषणा की।
इस बीच बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक लेकर समाजवादी पार्टी के एक सदस्य ने संशोधन प्रस्ताव लाने की बात रखी, लेकिन अध्यक्ष ने कहा कि बुधवार को जब यह विधेयक पेश हुआ तो उन्होंने यह प्रस्ताव क्यों नहीं दिया।
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा, ”आपका बहुमत है, आप भले पास करा लें लेकिन यह ठीक नहीं है।”
सपा सदस्यों ने इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन किया।
सदन में खन्ना ने ”उत्तर प्रदेश राज्य विधान मण्डल सदस्य तथा मंत्री सुख-सुविधा विधि (संशोधन) विधेयक, 2025”, उप्र राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (संशोधन) विधेयक, 2025 और उप्र राज्य लोक सेवा आयोग (प्रक्रिया का विनियमन) (संशोधन) विधेयक, 2025 विधेयकों के पारित करने का प्रस्ताव रखा। विधायकों के वेतन संबंधी विधेयक सर्वसम्मति से तथा अन्य विधेयक बहुमत के आधार पर पारित किए गए।
उल्लेखनीय है कि श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक, 2025 में 18 सदस्यीय न्यासी बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया है, जिसके के तहत न्यासियों की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी। इनमें 11 मनोनीत और सात पदेन सदस्य शामिल होंगे।
श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास का मामला अदालत में विचाराधीन है, ऐसे में जब विपक्ष ने यह सवाल उठाया कि न्यायिक प्रक्रिया के बीच विधेयक कैसे पेश किया गया तो खन्ना ने कहा कि फिलहाल उच्चतम न्यायालय ने जो निर्देश दिया है, उसी अनुसार संचालन होगा।
श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक में किए गए प्रावधान के अनुसार मनोनीत सदस्यों में वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों या पीठों से संबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति, सनातन धर्म की अन्य परंपराओं, संप्रदायों एवं पीठों से संबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति (संत, मुनि, गुरु, विद्वान, महंत, आचार्य आदि) हो सकते हैं। इसके अलावा सनातन धर्म की किसी भी शाखा या संप्रदाय से संबंधित ऐसे तीन व्यक्ति भी इसमें शामिल हो सकते हैं जो शिक्षाविद, विद्वान, उद्यमी, समाजसेवी आदि हों। मंदिर में सेवायत गोस्वामी परंपरा से दो ऐसे सदस्य नामित किए जाएंगे जो स्वामी श्री हरिदास जी के वंशज हों।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि मथुरा का जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद का मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मार्थ विभाग का एक अधिकारी, श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास का मुख्य कार्यपालक अधिकारी और राज्य सरकार द्वारा न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नियुक्ति किया गया कोई सदस्य इस न्यासी बोर्ड के पदेन सदस्य होगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से प्रस्तावित विधेयक के उद्देश्य और कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि मथुरा जिले के वृंदावन नगर में स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर एक प्राचीन एवं विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जहां प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
विधेयक में कहा गया है कि यह मंदिर लगभग 870 वर्ग मीटर में फैला हुआ है जिसमें से लगभग 365 वर्ग मीटर का उपयोग दर्शनीय प्रांगण के रूप में किया जाता है।
विधेयक के अनुसार श्री बांके बिहारी जी मंदिर तक पहुंचने का मार्ग अत्यंत संकरा होने की वजह से श्रद्धालुओं और आगंतुकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
विधेयक के उद्देश्यों का जिक्र करते हुए कहा गया कि 20 अगस्त 2022 को इस मंदिर में अत्यधिक भीड़ के कारण दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी जिसकी वजह से कुशल भीड़ प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पड़ी।
विधेयक में कहा गया कि तीर्थ यात्रा, धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं स्थापना संबंधी पहलुओं सहित मंदिर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास’ नामक एक न्यास के गठन का निर्णय लिया गया है।
यह स्पष्ट किया गया कि राज्य विधानमंडल सत्र आहूत नहीं था और इस कार्य के लिए तुरंत विधायी कदम उठाना जरूरी था इसलिए राज्यपाल ने 26 मई 2025 को उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश, 2025 जारी किया। बृहस्पतिवार को यह विधेयक पारित हो गया।
श्री बांके बिहारी मंदिर से संबंधित विधेयक पारित करने की प्रक्रिया के दौरान जब समाजवादी पार्टी के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर जाने लगे तो अध्यक्ष महाना ने कहा-”अभी न जाओ छोड़कर, अभी तो दिल भरा नहीं।”
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने चार दिन तक चले सत्र में पक्ष-विपक्ष के सहयोग के लिए सबको बधाई दी। उन्होंने अनिश्चित काल के लिए सदन को स्थगित करने का प्रस्ताव किया, जिसे सदस्यों की सहमति के बाद अध्यक्ष ने स्थगित करने की घोषणा की।
भाषा आनन्द
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