नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को शराब उत्पादक पर्नो रिकर्ड इंडिया की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें ट्रेडमार्क के कथित उल्लंघन पर ‘लंदन प्राइड’ व्हिस्की की बिक्री रोकने की अपील की गई थी।
कंपनी का दावा था कि इस ब्रांड का नाम और पैकेजिंग उसके ब्रांड ‘ब्लेंडर्स प्राइड’ और ‘इंपीरियल ब्लू’ से भ्रामक रूप से मिलते-जुलते हैं।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और इंदौर की वाणिज्यिक अदालत के फैसलों को बरकरार रखा, जिन्होंने पर्नो रिकर्ड को अंतरिम राहत देने से इनकार किया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘ब्लेंडर्स प्राइड’ और ‘लंदन प्राइड’ नाम एक जैसे नहीं हैं और दोनों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और ट्रेड छवि में स्पष्ट अंतर है।
पीठ ने कहा कि ‘प्राइड’ शब्द शराब उद्योग में आम है और अकेले इस शब्द के इस्तेमाल के आधार पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है। इसके अलावा दोनों उत्पादों के प्रीमियम श्रेणी के होने से उपभोक्ता भी खरीद में अधिक सावधानी बरतते हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘ट्रेडमार्क कानून का एक स्थापित सिद्धांत है कि भ्रामक समानता के लिए हूबहू नकल होना जरूरी नहीं है। इसमें महत्वपूर्ण यह है कि प्रतिस्पर्धी ट्रेडमार्क के बीच समग्र समानता से उपभोक्ताओं के मन में भ्रम या जुड़ाव की संभावना पैदा होती है या नहीं।’’
उच्चतम न्यायालय ने ट्रेडमार्क उल्लंघन की याचिका को खारिज करने के साथ ही स्थानीय वाणिज्यिक अदालत को निर्देश दिया कि वह मुकदमे की सुनवाई चार माह में पूरी करे और इसका निपटारा किसी अवलोकन से प्रभावित हुए बगैर गुणदोष के आधार पर करे।
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