नई दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की जिस पीठ ने हाल ही में एक दिवानी विवाद मामले में आपराधिक कार्यवाही की अनुमति देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की आलोचना की थी, उसी पीठ ने दिवानी विवाद से उत्पन्न एक आपराधिक मामले में एक जोड़े को अग्रिम जमानत देते समय एक संयत आचरण दिखाया।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई के हस्तक्षेप और आदेश पर पुनर्विचार करने के अनुरोध के बाद न्यायमूर्ति पारदीवाला ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ अपनी टिप्पणियां हटा दी थीं।
राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा एक दीवानी विवाद मामले में दंपति को अग्रिम जमानत देने से इनकार करने वाले एक ऐसे ही मामले की सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने 13 अगस्त को कहा कि समस्या सुस्थापित कानून का पालन न करने से उत्पन्न हुई है।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, ‘‘इस बार मैं अपना संयम नहीं खोऊंगा।’’
इस मामले में, एक दंपति के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
शिकायतकर्ता के अनुसार, दंपति को प्लाईवुड की बिक्री के लिए 3,50,000 रुपये का भुगतान करना था, लेकिन उसने शेष 12,59,393 रुपये का भुगतान नहीं किया, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने प्राथमिकी दर्ज कराई।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एक बार बिक्री लेनदेन हो जाने के बाद कोई आपराधिक विश्वासघात नहीं हो सकता।
भाषा राजकुमार पारुल
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