नयी दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के मौके पर जारी एक विशेष पाठ में भारत के बंटवारे के लिए मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराया गया है।
पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि विभाजन के बाद कश्मीर एक नई समस्या के रूप में उभरा। यह समस्या भारत में पहले कभी मौजूद नहीं थी और इसने देश की विदेश नीति के लिए चुनौती पैदा कर दी। इसमें यह भी कहा गया है कि कुछ देश पाकिस्तान को सहायता देते रहते हैं और कश्मीर मुद्दे के नाम पर भारत पर दबाव बनाते रहते हैं।
इसमें कहा गया है, ‘भारत का विभाजन गलत विचारों के कारण हुआ। भारतीय मुसलमानों की पार्टी, मुस्लिम लीग ने 1940 में लाहौर में एक सम्मेलन आयोजित किया। इसके नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग धार्मिक दर्शन, सामाजिक रीति-रिवाज और साहित्य से संबंधित हैं।’
माउंटबेटन बड़ी भूल के दोषी
एनसीईआरटी के विशेष पाठ में ‘विभाजन के अपराधी’ शीर्षक वाले खंड में कहा गया है, ‘अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत का विभाजन हुआ। लेकिन यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं था। भारत के विभाजन के लिए तीन तत्व ज़िम्मेदार थे। जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की; दूसरे, कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया; और तीसरे, माउंटबेटन, जिन्होंने इसे लागू किया। लेकिन माउंटबेटन एक बड़ी भूल के दोषी साबित हुए।’
इसमें कहा गया कि माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से घटाकर अगस्त 1947 कर दी। उन्होंने सभी को इसके लिए सहमत कर लिया। इस वजह से विभाजन से पहले पूरी तैयारी नहीं हो सकी। सीमाओं का सीमांकन भी जल्दबाजी में किया गया। इसके लिए सर सिरिल रेडक्लिफ को केवल पांच सप्ताह का समय दिया गया।
जिन्ना को दोषी ठहराया
इसमें कहा गया है, ‘पंजाब में 15 अगस्त 1947 के दो दिन बाद भी लाखों लोगों को यह नहीं पता था कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में। इतनी जल्दबाज़ी बहुत बड़ी लापरवाही थी।’ पाठ में जिन्ना को दोषी ठहराया गया है, लेकिन उनके हवाले से यह भी कहा गया है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा या वे अपने जीवनकाल में पाकिस्तान देख पाएंगे।
इसमें कहा गया, ‘बाद में, जिन्ना ने भी स्वीकार किया कि उन्होंने विभाजन की उम्मीद नहीं की थी। उन्होंने अपने सहयोगी से कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। मैंने अपने जीवनकाल में पाकिस्तान देखने की कभी उम्मीद नहीं की थी।’
भारत में स्थिति विस्फोटक
पाठ में सरदार वल्लभभाई पटेल के हवाले से कहा गया है कि भारत में स्थिति विस्फोटक हो गई। इसमें कहा गया, ‘भारत युद्ध का मैदान बन गया, और गृहयुद्ध की बजाय देश का विभाजन करना बेहतर है।’ इसमें महात्मा गांधी के रुख का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्होंने विभाजन का विरोध किया था, लेकिन कांग्रेस के फैसले का हिंसा से विरोध नहीं कर पाए….।
एनसीईआरटी ने दो अलग-अलग पाठ प्रकाशित किए हैं। इसमें छठी कक्षा से आठवीं (मध्य चरण) के लिए और नौवीं कक्षा से 12वीं (माध्यमिक चरण) के लिए एक-एक पाठ है। ये अंग्रेजी और हिंदी में पूरक पाठ हैं, नियमित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं हैं, और इनका इस्तेमाल परियोजनाओं, पोस्टरों, चर्चाओं और वाद-विवादों के माध्यम से किया जाना है। दोनों पाठ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2021 के संदेश के साथ शुरू होते हैं जिसमें विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने की घोषणा की गई है।
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