नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) विदेशी बाजारों में मजबूती के रुख के बीच बीते सप्ताह घरेलू बाजार में सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। ऊंचे भाव वाले सोयाबीन डीओसी की स्थानीय कमजोर मांग से सोयाबीन तिलहन कीमतों में गिरावट देखी गई, जबकि सुस्त कारोबार के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के दाम स्थिर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी बाजारों में मजबूती का रुख बना रहा और इसकी वजह से सीपीओ एवं पामोलीन तथा सोयाबीन तेल जैसे आयातित खाद्य तेल कीमतों में तेजी आई। आयातित तेलों में आई तेजी का सरसों पर भी अनुकूल असर हुआ और इसके तेल-तिलहन के दाम भी सुधार दर्शाते बंद हुए। ध्यान देने योग्य बात यह है कि सोयाबीन का कारोबार और उसके दाम की घट- बढ़ सोयाबीन से लगभग 82 प्रतिशत निकलने वाले सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) के बाजार पर निर्भर करती है। डीओसी के दाम मजबूत होने से सोयाबीन तिलहन के दाम भी मजबूत होंगे। पर ऊंचे दाम की वजह से इसकी स्थानीय मांग कमजोर बनी हुई है। इसके लिए जरूरी है कि डीओसी का स्थानीय बाजार बनाया जाये।
उन्होंने कहा कि विदेशों में बाजार जहां तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं देश में सोयाबीन न्यूनतम समर्थन मूल्य से 5-6 प्रतिशत नीचे), मूंगफली एवं सूरजमुखी 20-22 प्रतिशत नीचे हाजिर दाम पर बिक रहे हैं। इन देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनाना आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है।
सूत्रों ने कहा कि इसी प्रकार, मिलावटी बिनौला खल भी तेल-तिलहन कारोबार के लिए बड़ी परेशानी बन गया है। इससे किसानों के ऊंचे दाम वाले शुद्ध बिनौला खल की बिक्री प्रभावित होती है और उन्हें उचित कीमत नहीं मिलती। इससे कपास उत्पादन प्रभावित होने का भी खतरा है। मिलावटी खल पर रोक लगाने की मांग संसद में उठी है। इस ओर, गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।
इस बीच, बीते सप्ताह, सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क मूल्य में बढोतरी करते हुए इसे सीपीओ के लिए 20 रुपये क्विंटल और सोयाबीन डीगम के लिए 30 रुपये क्विंटल बढ़ाया है।
कमजोर कामकाज के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम स्थिर रहे। जबकि कमजोर आवक की वजह से बिनौला तेल के दाम में सुधार आया। नमकीन बनाने वाली कंपनियों की छिटपुट त्योहारी मांग के कारण भी बिनौला में सुधार देखने को मिला।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 100 रुपये के सुधार के साथ 7,275-7,325 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 250 रुपये के सुधार के साथ 16,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 35-35 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 2,640-2,740 रुपये और 2,640-2,775 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 50-50 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,825-4,875 रुपये और 4,525-4,625 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। दूसरी ओर, सोयाबीन दिल्ली का दाम 300 रुपये की बढ़त के साथ 13,500 रुपये, सोयाबीन इंदौर तेल का दाम 250 रुपये बढ़कर 13,050 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 175 रुपये की मजबूती के साथ 10,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम स्थिर बने रहे। मूंगफली तिलहन 5,700-6,075 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 13,500 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन पर स्थिर बना रहा।
समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 420 रुपये के सुधार के साथ 11,800 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 400 रुपये के सुधार के साथ 13,400 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव भी 500 रुपये के सुधार के साथ 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
बाजार में आम सुधार के रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 100 रुपये के सुधार के साथ 13,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
अजय
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