नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) सरकार ने सोमवार को संसद में कहा कि प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) की प्रायोगिक परियोजना के तहत दिये गए प्रस्तावों को आवेदकों द्वारा स्वीकार न करने के कारणों में स्थान संबंधी मुद्दा और इंटर्नशिप की अवधि शामिल हैं।
वर्ष 2024-25 के बजट में घोषित इस योजना का उद्देश्य 5 वर्षों में शीर्ष 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना है और इसे कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
पिछले साल तीन अक्टूबर को शुरू की गई इस प्रायोगिक परियोजना का लक्ष्य साल भर में युवाओं को 1.25 लाख इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना है और पहले दौर में 280 साझेदार कंपनियों ने 1.27 लाख से अधिक इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध कराये।
कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘‘इसके विपरीत, लगभग 1.81 लाख उम्मीदवारों से 6.21 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए। साझेदार कंपनियों ने 82,000 से अधिक इंटर्नशिप प्रस्ताव दिए और 28,000 से अधिक उम्मीदवारों ने इंटर्नशिप में शामिल होने के प्रस्ताव स्वीकार किए। पहले दौर में 8,700 से अधिक उम्मीदवार इंटर्नशिप में शामिल हुए।’’
उन्होंने बताया कि 9 जनवरी 2025 को शुरू हुए दूसरे दौर में, 327 साझेदार कंपनियों ने 1.18 लाख से अधिक इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध कराये और 2.14 लाख से अधिक आवेदकों से 4.55 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
मंत्री ने बताया कि 12 अगस्त 2025 तक, साझेदार कंपनियों ने युवाओं को 82,000 से अधिक प्रस्ताव दिए हैं और 24,000 से अधिक उम्मीदवारों ने इंटर्नशिप में शामिल होने के प्रस्ताव स्वीकार कर लिए हैं।
पीएमआईएस प्रायोगिक परियोजना के तहत पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने वाले उम्मीदवारों की कुल संख्या पहले दौर में 3.38 लाख और दूसरे दौर में 3.46 लाख है।
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