चंडीगढ़, 18 अगस्त (भाषा) हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने एक खबर का स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि जनस्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी को वेतन नहीं दिया गया, क्योंकि उसके आधार रिकॉर्ड में उसे गलत तरीके से ‘मृत’ दिखाया गया है।
एक प्रमुख अखबार में 12 अगस्त को प्रकाशित खबर में कहा गया है कि रोहतक में रामलीला पड़ाव स्थित वाल्मीकि बस्ती के रहने वाले विजय कुमार जीवित हैं और नियमित रूप से अपना काम कर रहे हैं। खबर में कहा गया है कि प्रशासनिक चूक के कारण उन्हें कथित तौर पर उनके वैध पारिश्रमिक से वंचित कर दिया गया है।
समीक्षा के बाद आयोग ने पाया कि स्वास्थ्य विभाग ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के पोर्टल पर कर्मचारी का रिकॉर्ड अद्यतन नहीं किया, जबकि उन्हें पता था कि आधार में उसकी ‘मृत’ स्थिति गलत थी।
आयोग की पूर्ण पीठ ने 14 अगस्त के अपने आदेश में कहा कि ऐसा व्यवहार आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध (आईसीईएससीआर) के अनुच्छेद 7 के विपरीत प्रतीत होता है। यह अनुच्छेद काम के न्यायसंगत और अनुकूल परिस्थितियों के अधिकार को मान्यता देता है, जिसमें ऐसा पारिश्रमिक शामिल है, जो कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करे। आयोग की पूर्ण पीठ में अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा और सदस्य कुलदीप जैन तथा दीप भाटिया शामिल थे।
आयोग ने कहा कि किए गए कार्य के बदले वेतन न देना कर्मचारी के मानवाधिकारों का उल्लंघन है, विशेष रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित आजीविका और गरिमा के अधिकार का, जिसकी पुष्टि विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दस्तावेजों में भी की गई है।
आयोग ने विभाग की निष्क्रियता को मनमाने ढंग से आय से वंचित करने के समान माना और कहा कि इससे शिकायतकर्ता की स्वयं और अपने परिवार का भरण-पोषण करने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
आदेश में कहा गया है कि इस तरह से जीवित कर्मचारी की सेवा की उपेक्षा करना एक प्रशासनिक विफलता है, जिसे आयोग नजरअंदाज नहीं कर सकता।
आदेश के अनुसार, आयोग को प्रथम दृष्टया प्रशासनिक लापरवाही और शिकायतकर्ता के अधिकारों के उल्लंघन का साक्ष्य मिला है।
आदेश में कहा गया है कि विभाग के अपने रिकॉर्ड में शिकायतकर्ता को ‘मृत’ घोषित किया गया है, फिर भी कार्यस्थल पर उसकी दैनिक उपस्थिति और कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन इसके विपरीत साक्ष्य प्रस्तुत करता है।
आदेश में कहा गया है, ‘उसके कार्य को स्वीकार करना, लेकिन वेतन न देना, यह एक गंभीर विरोधाभास है, जो इस बात की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है कि उसका वेतन तुरंत बहाल किया जाए, सभी रिकॉर्ड सुधारे जाएं, और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में कोई भी कर्मचारी इस प्रकार की विषम और अन्यायपूर्ण स्थिति में न डाला जाए।’
आयोग ने अगली सुनवाई से पहले रोहतक के अतिरिक्त उपायुक्त और हरियाणा सरकार के नागरिक संसाधन सूचना विभाग (सीआरआईडी) के आयुक्त एवं सचिव से शिकायतकर्ता के आधार रिकॉर्ड में आवश्यक सुधार के संबंध में रिपोर्ट मांगी है।
एचएचआरसी ने पंचकूला सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग रोहतक सर्कल के अधीक्षण अभियंता तथा रोहतक जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यपालक अभियंता संदीप कुमार को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
अधिकारियों को रिपोर्ट में निम्नलिखित बातों को शामिल करने के लिए कहा गया है: आधार सहित सभी आधिकारिक रिकॉर्ड में शिकायतकर्ता की स्थिति में सुधार करने के लिए उठाए गए कदम, लंबित वेतन का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए गए और इस देरी व उत्पन्न हुई कठिनाइयों के लिए विभागीय जवाबदेही कैसे तय की जाएगी।
मामले की सुनवाई 23 सितंबर को सूचीबद्ध की गई है।
भाषा सुमित दिलीप
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