नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) संसद ने सोमवार को बंदरगाह क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण प्रावधानों वाले भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी तथा केंद्रीय पत्तन परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य को पाने में बंदरगाह क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने में इस प्रस्तावित कानून की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा और मंत्री सोनोवाल के जवाब के बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य उच्च सदन में मौजूद नहीं थे। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक के पारित होने के बाद सदन की बैठक अपराह्न चार बजकर 15 मिनट पर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी।
इस विधेयक पर चर्चा शुरू होने के समय कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण मुद्दे पर चर्चा कराने की अनुमति नहीं मिलने के विरोध में सदन से वाकऑउट किया।
सोनोवाल ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक तटीय राज्यों, उद्योग से जुड़े हितधारकों और जनता के साथ व्यापक परामर्श का परिणाम है, जो सहकारी संघवाद की भावना को भी दर्शाता है।
उन्होंने कहा, ‘यह सुधारों की शक्ति है। इसके जरिए हम भारत को दुनिया के अग्रणी समुद्री देशों में से एक बनाने जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इस विधेयक को विश्व की सर्वोत्तम व्यवस्था के अनुरूप सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है और पुराने प्रावधानों को हटाकर उनकी जगह आधुनिक और प्रासंगिक प्रावधान लाया गया है।
सोनोवाल ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि उसने अपने शासनकाल में इस मंत्रालय की अनदेखी की और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के 10 साल के शासनकाल में समुद्री क्षेत्र से संबंधित सिर्फ एक विधेयक को ही मंजूरी दी गयी।
सोनोवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पत्तन, परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की उपेक्षा की और 2004 से 2014 तक के दस साल के अपने शासनकाल में केवल एक नया कानून ही बना सकी। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले 11 साल में 11 नए कानून बनाए हैं।
उन्होंने मोदी सरकार द्वारा इस मंत्रालय से संबंधित नए कानूनों की सूची भी दी।
सोनोवाल ने कहा कि कांग्रेस ने इस मंत्रालय पर ध्यान ही नहीं दिया। उनके पास क्षेत्र के सुधार के लिए कोई बात ही नहीं थी।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए 100 साल से भी ज़्यादा पुराने कानून अब अप्रासंगिक हो गए हैं और आधुनिक समय के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं।
सोनोवाल ने कहा कि अगर कानून आधुनिक, प्रभावी, व्यापार-अनुकूल, पर्यावरण-अनुकूल और लोगों के अनुकूल होंगे, तभी हम देश को आगे ले जा सकते हैं।
चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे।
विपक्ष के सदन से बहिर्गमन करने का उल्लेख करते हुए सोनोवाल ने कहा कि कांग्रेस और उनके गठबंधन के दलों को कम से कम ‘राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना विकसित करनी चाहिए क्योंकि वे भी देश के नागरिक हैं।’
मंत्री ने कहा कि विपक्ष के रूप में भी उनकी बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की भूमिका केवल विरोध करना ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी और जवाबदेही जैसे महत्वपूर्ण गुण भी होते हैं।
यह विधेयक बजट सत्र के दौरान 28 मार्च को पेश किया गया था जिसमें बंदरगाहों से संबंधित कानून को समेकित करने, एकीकृत बंदरगाह विकास को बढ़ावा देने, व्यापार को आसान बनाने और भारत की तटरेखा का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने संबंधी प्रावधान हैं।
विधेयक को 1908 के अधिनियम की जगह लेने के लिए लाया गया है और इसके तहत एक समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को फरवरी में मंजूरी प्रदान की थी।
भाषा अविनाश सुभाष
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