नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को बताया कि अब से सदन में संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित सभी 22 भाषाओं में कार्यवाही का अनुवाद होगा।
अब तक 18 भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध थी।
लोकसभा की बैठक शुरू होते ही अध्यक्ष बिरला ने कहा, ‘‘मुझे सदन को यह सूचित करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है कि हम सदन में संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित सभी भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि अभी तक सदन की कार्यवाही का अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी के अतिरिक्त 18 भाषाओं अर्थात असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, कन्नड, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू में किया जा रहा था।
बिरला ने बताया कि अब इसमें कश्मीरी, कोंकणी और संथाली भाषाओं को भी शामिल किए जाने से हम संविधान में उल्लेखित सभी भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं।
उन्होंने इस दौरान बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर शोर-शराबा कर रहे सदस्यों से कार्यवाही चलने देने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘दुनिया में (केवल) भारत की संसद है जिसमें एक समय में 22 भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध है और कहीं ऐसा नहीं है। हमें देश के लोकतंत्र और संविधान पर गर्व करना चाहिए। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि सदन चलाने में सहयोग करें। दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र हमारा है। मुझे आशा है कि आप सदन चलाने में सहयोग करेंगे।’’
इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल शुरू कराया और बिहार के पश्चिम चंपारण से भारतीय जनता पार्टी के सांसद डॉ संजय जायसवाल ने राजभाषा से संबंधित प्रश्न पूछते हुए सरकार से अनुरोध किया कि भोजपुरी जैसी अन्य भाषाओं में भी सरकारी पत्राचार और कामकाज होना चाहिए जो बड़े स्तर पर प्रचलित हैं और एक बड़ा वर्ग इन्हें बोलता है।
भाषा वैभव माधव
माधव