नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि गुजरात में दूध की खरीद 2001-02 में 50 लाख लीटर प्रतिदिन से पांच गुना बढ़कर 2024-25 में 250 लाख लीटर प्रतिदिन हो गई है।
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंत्री ने कहा कि डेरी किसानों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है तथा फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आई है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा, पिछले 15 वर्षों में किसानों को दिए जाने वाले दूध के मूल्य में 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई है (औसत दूध खरीद मूल्य 400 रुपये प्रति किलोग्राम वसा से बढ़कर 950 रुपये प्रति किलोग्राम वसा हो गया है)।
शाह ने बताया कि इससे दुग्ध संघों की शीतलन क्षमता और दूध खरीद क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण मदद मिली है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय डेरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), डेरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ) और पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) जैसी योजनाओं ने अवसंरचना आधुनिकीकरण, मूल्य संवर्धन सुविधाओं, (पशु) नस्ल सुधार और चारा विकास के लिए सहायता प्रदान की है।
पिछले सात वर्षों में, एनपीडीडी के तहत गुजरात को 515 करोड़ रुपये के कुल परियोजना परिव्यय के साथ 315 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप 2,052 ‘बल्क मिल्क कूलर’, 4,309 स्वचालित दूध संग्रह प्रणालियां और दूध मिलावट का पता लगाने वाली 1,000 मशीनें स्थापित की गई हैं।
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (एनसीडी) पोर्टल के अनुसार, गुजरात में 15,740 डेरी सहकारी समितियां संचालित हो रही हैं।
गुजरात में एक सुविकसित डेरी सहकारी नेटवर्क है, जिसका नेतृत्व गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड (अमूल) करता है, जिसमें 18 जिला संघ और 36 लाख से अधिक सदस्य शामिल हैं।
वर्तमान में, अमूल अपने सहकारी नेटवर्क के माध्यम से गुजरात से प्रतिदिन लगभग 250 लाख लीटर दूध खरीदता है, जिससे गुजरात देश के अग्रणी दुग्ध उत्पादक राज्यों में से एक बन गया है।
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