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Thursday, August 21, 2025

वृद्धाश्रम में रहने वालों की मौत होने पर देखभाल कर्मियों को होता है दुख

Newsवृद्धाश्रम में रहने वालों की मौत होने पर देखभाल कर्मियों को होता है दुख

(जेनिफर टाईमैन और प्रियंका वेंडर्समैन, फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय)

एडीलेड, 19 अगस्त (द कन्वरसेशन) जैसे-जैसे हमारी आबादी बढ़ती जा रही है, हम ज़्यादा समय तक जी रहे हैं। इसलिए, जीवन के अंतिम पड़ाव में वृद्धों की देखभाल एक बड़ी जरूरत बनती जा रही है। ऑस्ट्रेलिया में, 85 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 50 प्रतिशत लोग वृद्धाश्रम में अंतिम सांस लेते हैं।

लेकिन वृद्धों की देखभाल का काम करने वालों के लिए इसका क्या मतलब है?

अध्ययन से पता चलता है कि वृद्धों की देखभाल करने वाले कर्मियों को वृद्धाश्रम में रहने वालों की मृत्यु पर एक अलग तरह का दुख होता है। हालांकि, उनके दुख को अक्सर समझा नहीं जाता, और उन्हें पूरी सहायता नहीं मिल पाती।

समय के साथ रिश्ते बनाना

वृद्ध-देखभाल कर्मी केवल स्नान कराने या भोजन पहुंचाने जैसे कार्य ही नहीं करते, बल्कि उन लोगों के साथ सक्रिय रूप से जुड़े होते हैं।

वृद्ध-देखभाल कर्मी इस बात से अवगत हैं कि जिन लोगों की वे देखभाल करते हैं, उनमें से कई की मृत्यु हो जाएगी और यह भी कि वृद्ध लोगों को उनके जीवन के अंतिम समय में सहारा देने में उनकी भूमिका है। इस भूमिका में, वे अक्सर अपनी देखभाल में रह रहे वृद्ध लोगों के साथ सार्थक रिश्ते बनाते हैं।

परिणामस्वरूप, जब किसी वृद्ध व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो यह वृद्ध-देखभाल कर्मियों के लिए बहुत बड़ी क्षति का कारण बन सकता है। जैसा कि एक व्यक्ति ने हमें बताया, ‘‘मुझे पता है कि जिनकी मृत्यु हो जाती है उनमें से कुछ के लिए मैं रोता हूं…आप उनके साथ समय बिता चुके होते हैं और उनसे प्यार करते हैं।’’

हमने जिन वृद्ध-देखभाल कर्मियों का साक्षात्कार लिया, उनमें से कुछ ने वृद्ध व्यक्ति के साथ मौजूद रहने, उनसे बात करने या उनकी मृत्यु के समय उनके पास मौजूद होने के बारे में बताया।

अन्य लोगों ने बताया कि कैसे उस व्यक्ति के लिए उनके आंसू निकल आए, जिसकी मृत्यु हो गई थी। लेकिन ये आंसू उनको हुए अपने नुकसान के लिए भी थे, क्योंकि वे उस वृद्ध व्यक्ति को जानते थे और उनके जीवन में शामिल रहे थे।

उन्होंने बताया, ‘‘मुझे लगता है कि यह उस वक्त और भी कष्टकारी हो गया जब उनकी सांस धीमी हो गई, और मुझे पता था कि वह अब मरने वाली हैं। मैं बाहर गया। मैंने उससे कहा कि मैं एक मिनट के लिए बाहर जा रहा हूं। मैं बाहर गया और रोया कि काश! मैं उन्हें बचा पाता, लेकिन मुझे पता था कि मैं ऐसा नहीं कर सकता।’’

वृद्धाश्रम कर्मी कहते हैं कि उन्हें अलविदा कहने या किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में स्वीकार किये जाने का अवसर नहीं मिलता, जिसे नुकसान पहुंचा है, भले ही वे कई महीनों या वर्षों से उस व्यक्ति की देखभाल कर रहे हों।

एक वृद्धाश्रम कर्मी ने कहा, ‘‘अगर लोग अस्पताल में आखिरी सांस लेते हैं, तो यह एक और दुख की बात है। क्योंकि हम अलविदा नहीं कह पाते। अक्सर अस्पताल बताता ही नहीं।’’

वृद्ध-देखभाल कर्मियों को अक्सर परिवारों और प्रियजनों को भी सहारा देना पड़ता है, जब वे माता-पिता, रिश्तेदार या दोस्त की मृत्यु से उबरने की कोशिश करते हैं। इससे उन कर्मियों पर भावनात्मक बोझ बढ़ सकता है जो खुद भी दुख के दौर से गुज़र रहे हों।

संचयी शोक

बार-बार लोगों को मरते हुए करीब से देखना संचयी शोक और भावनात्मक तनाव का कारण बन सकता है।

एक कर्मी ने हमें बताया कि समय के साथ और कई मौतें देखकर, आप ‘‘थोड़े रोबोट जैसा महसूस कर सकते हैं। क्योंकि आपको प्रबंधन करने के लिए वैसा ही बनना पड़ता है।’’

कर्मियों की कमी या काम का ज़्यादा बोझ जैसी संगठनात्मक समस्याएं भी थकान और असंतोष की इन भावनाओं को बढ़ा सकती हैं। उन्होंने इससे निपटने में मदद की जरूरत पर जोर दिया। ‘कभी-कभी आप बस बात करना चाहते हैं। आपको किसी की जरूरत नहीं होती जो आपके लिए कोई समाधान निकाले। आप बस सुनना चाहते हैं।’

वृद्ध-देखभाल कर्मियों को उनके दुख से निपटने में सहायता करना वृद्ध-देखभाल संगठनों को अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए कदम उठाने चाहिए, जिसमें वृद्ध लोगों की मृत्यु पर होने वाले दुख को स्वीकार करना भी शामिल है।

वृद्ध व्यक्ति की मृत्यु के बाद, उसके साथ काम कर चुके कर्मियों को सहायता प्रदान करना तथा उनके बीच मौजूद भावनात्मक जुड़ाव को स्वीकार करना, उनके दुख को समझने के प्रमुख तरीके हैं।

कर्मियों से बस यह पूछना कि वे कैसे हैं या उन्हें यह समझने के लिए कुछ समय देना कि व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, शुरुआत करने का एक अच्छा तरीका है।

कार्यस्थलों को भी व्यापक रूप से आत्म-देखभाल को प्रोत्साहित करना चाहिए, जैसे कि निर्धारित अवकाश लेना, सहकर्मियों से मिलना-जुलना, और विश्राम व शारीरिक गतिविधियों के लिए समय को प्राथमिकता देना।

हमें यह भी देखना होगा कि हम अपने परिवारों और समुदायों में मृत्यु और मरने के बारे में बातचीत को कैसे सामान्य बना सकते हैं। मृत्यु को जीवन का एक हिस्सा मानने में आनाकानी, कर्मचारियों पर भावनात्मक बोझ बढ़ा सकती है, खासकर अगर परिवार मृत्यु को देखभाल में विफलता के रूप में देखते हैं।

परिवारों और समुदायों के सदस्यों के रूप में, हमें यह समझना होगा कि वृद्ध-देखभाल कर्मी दुख और क्षति की भावनाओं के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, क्योंकि अक्सर वे अपनी देखभाल में लगे लोगों के साथ महीनों या वर्षों तक जु़ड़े होते हैं।

इस महत्वपूर्ण कार्यबल के कल्याण का समर्थन करने से उन्हें हमारी और हमारे प्रियजनों की देखभाल जारी रखने में मदद मिलती है, जब हम वृद्धावस्था में होते हैं और अपने जीवन के अंतिम चरण में पहुंचते हैं।

(द कन्वरसेशन) सुभाष नरेश

नरेश

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