(पायल बनर्जी)
नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के नवनियुक्त प्रमुख डॉ. अभिजात चंद्रकांत शेठ ने चिकित्सा महाविद्यालयों के निरीक्षण में भ्रष्टाचार के आरोपों की पृष्ठभूमि में कहा कि शीर्ष निकाय मौजूदा मूल्यांकन प्रणाली का विश्लेषण करेगा ताकि किसी भी संभावित कमियों को दूर किया जा सके और भविष्य में ऐसी खामियों को रोकने के लिए नियामक तंत्र को मजबूत किया जा सके।
डॉ. शेठ ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक विशेष साक्षात्कार में स्वीकार किया कि इस तरह के आरोप एनएमसी के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं।
उन्होंने कहा कि आयोग के प्रमुख का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद उन्होंने अपनी टीम के साथ समग्र प्रक्रियाओं और समस्याओं की समीक्षा की।
डॉ. शेठ राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड (एनबीईएमएस) के भी प्रमुख हैं। डॉ. शेठ को जुलाई में एनएमसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और उन्होंने पांच अगस्त को कार्यभार संभाला।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जुलाई में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, एनएमसी, बिचौलियों और निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया, जो कथित तौर पर भ्रष्टाचार और चिकित्सा महाविद्यालयों को नियंत्रित करने वाले नियामक ढांचे में गैरकानूनी हेरफेर सहित कई ‘गंभीर’ कृत्यों में संलिप्त थे।
डॉ. शेठ ने कहा कि रिश्वतखोरी के आरोप मुट्ठी भर कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ थे और एनएमसी के अखिल भारतीय संचालन को देखते हुए पूरे संगठन को कठघरे में खड़ा करना अनुचित होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम इसे एक गंभीर चिंता के रूप में लेते हैं और एनएमसी ने पहले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं की नीति अपनाई है। इस मुद्दे में आरोपी लोगों और संस्थानों को विनियमित करने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं, और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की गई है।’’
डॉ.शेठ ने मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार के सवाल पर कहा कि उनके कार्यभार संभालने से पहले ही एनएमसी ने निरीक्षण के लिए जमीनी उपस्थिति की निर्भरता को समाप्त करने के लिए कुछ प्रणालियां शुरू की थीं, जिनमें स्व-मूल्यांकन रिपोर्टों का संस्थागतकरण, सीसीटीवी निगरानी के माध्यम से एनएमसी निरीक्षण के लिए केंद्रीय नियंत्रण और कमांड सेंटर की स्थापना और संकाय और अस्पताल के कर्मचारियों की निगरानी के लिए आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि एनएमसी अधिनियम में यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं कि मानक कार्यप्रणाली से किसी भी तरह के विचलन यानी खामी को गंभीरता से लिया जाएगा तथा अधिकतम अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उचित विनियामक या दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.शेठ ने कहा, ‘‘टीम के साथ जुड़ने के बाद अब हम जो करने जा रहे हैं, वह यह है कि हम समस्या के मूल कारण का विस्तृत विश्लेषण करेंगे और समस्या के आधार पर हम कमियों, सुधार के लिए किसी भी क्षेत्र का पता लगाएंगे और साथ ही हम यह सुनिश्चित करेंगे कि विश्लेषण के आधार पर नियामक तंत्र को मजबूत किया जाए। साथ ही हमें ऐसी कथित घटनाओं की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने की आवश्यकता है।’’
भाषा धीरज संतोष
संतोष