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Tuesday, August 19, 2025

सरकार ने 30 सितंबर तक कपास के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी

Newsसरकार ने 30 सितंबर तक कपास के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी

नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) सरकार ने कपड़ा क्षेत्र के लिए प्रमुख कच्चे माल की उपलब्धता सुधारने के मकसद से 30 सितंबर तक कच्चे कपास के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी है। इस कदम से अमेरिका को फायदा मिलने की उम्मीद है।

कपास पर अब तक कृषि अवसंरचना एवं विकास उपकर (एआईडीसी) के साथ 11 प्रतिशत का आयात शुल्क भी लगता रहा है।

वित्त मंत्रालय की 18 अगस्त की अधिसूचना के अनुसार, शुल्क छूट 19 अगस्त से प्रभावी होगी और 30 सितंबर तक लागू रहेगी।

आयात शुल्क समाप्त करने से कपड़ा क्षेत्र के लिए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी दरों पर कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित होने की उम्मीद है।

भारत द्वारा आयात शुल्क में राहत ऐसे समय में दी गई है जब कपड़ा क्षेत्र सहित भारतीय निर्यातकों को अमेरिका में 50 प्रतिशत के भारी शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।

अभी अमेरिकी शुल्क 25 प्रतिशत है। 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क (जुर्माना) 27 अगस्त से प्रभावी होगा। यह शुल्क भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर दंड के रूप में लगाया गया है।

इस निर्णय पर टिप्पणी करते हुए, शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि भारत ने कम आपूर्ति से निपटने और फसल आने के मौसम से पहले कीमतों को स्थिर करने के लिए कच्चे कपास पर आयात शुल्क 40 दिन के लिए निलंबित कर दिया है।

कपास का आयात 107.4 प्रतिशत बढ़ा है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 57.92 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 1.20 अरब डॉलर हो गया है।

पिछले वर्ष प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में ऑस्ट्रेलिया (25.82 करोड़ डॉलर), अमेरिका (23.41 करोड़ डॉलर), ब्राज़ील (18.08 करोड़ डॉलर) और मिस्र (11.63 करोड़ डॉलर) शामिल थे।

फरवरी, 2021 से, आयात पर 11 प्रतिशत शुल्क लागू था, जिसमें पांच प्रतिशत मूल सीमा शुल्क और पांच प्रतिशत एआईडीसी शामिल था।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इस छूट से उच्च आदान लागत का सामना कर रही मिलों को मदद मिलने की उम्मीद है और प्रतिस्पर्धा से जूझ रहे धागा और कपड़ा निर्यातकों को, खासकर भारत के त्योहारी मौसम से पहले, मदद मिलेगी।’’

उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने घरेलू कपास की कीमतों पर लगातार गिरावट के दबाव से बचने के लिए राहत को 40 दिन तक सीमित कर दिया है, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह उपाय नई फसल आने से पहले बाजारों को स्थिर करने के लिए एक समयबद्ध उपाय है।’’

भाषा राजेश अजय

अजय

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