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Wednesday, August 20, 2025

रणथंभौर में पर्यटकों को घुमाने वाले पुराने सफारी वाहनों को लेकर चिंता

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जयपुर, 19 अगस्त (भाषा) रणथंभौर बाघ अभायरण्य (आरटीआर) में सफारी वाहन के खराब होने से पर्यटकों के फंसने की हालिया घटना के बाद इस उद्यान में चल रहे सालों पुराने वाहनों को लेकर चिंता जताई जा रही है।

उद्यान में पर्यटन सफारी के लिए काम में लिए जाने वाले डीजल चालित कैंटरों में से कई एक दशक से भी ज्यादा पुराने हैं।

उद्यान में पर्यटन सफारी के दौरान कैंटर खराब होने की ताजा घटना शनिवार शाम जोन 6 में हुई। इस घटना में सात महीने के शिशु सहित 20 पर्यटक एक घंटे से ज्यादा समय तक जंगल में फंसे रहे। इनका कैंटर उद्यान के निकास द्वार से लगभग चार किलोमीटर दूर खराब हो गया था।

इस कैंटर में सवार पर्यटकों के लिए हालात तब और भी विकट हो गए जब एक गाइड कथित तौर पर उनको छोड़कर चला गया। जंगल में अंधेरा गहराने पर पर्यटक दहशत में आ गए। हालांकि, उद्यान अधिकारियों ने कहा कि गाइड मदद लेने गया था। अंधेरा होने पर पर्यटकों और गाइड के बीच तीखी बहस हुई। इस बहस के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं। एक घंटे से ज्यादा देर तक फंसे रहने के बाद पर्यटकों को आखिरकार उद्यान से बाहर निकाला गया।

उप वन संरक्षक (डीसीएफ) प्रमोद धाकड़ ने कहा कि तीन कैंटर, उनके चालकों और गाइड को अगले आदेश तक उद्यान में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

इस बीच, सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप सामने आई है जिसमें महिला पर्यटक एक अधिकारी को अपनी आपबीती सुना रही है कि कैसे वे लोग निकास द्वार तक पहुंचे और कैसे ऐसा कैंटर उन्हें लेने आया जिसकी हैडलाइट तक काम नहीं कर रही थी। कैंटर को टॉर्च की रोशनी में उनकी मदद के लिए लाया गया।

इस घटना ने उद्यान के पुराने सफारी वाहनों की सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं।

रणथंभौर में लगभग 70 बाघ हैं और कैंटर के बीच रास्ते खराब होने की यह घटना इस उद्यान में पर्यटन के बुनियादी ढांचे से जुड़ी चुनौतियों को उजागर करती है।

अधिकारियों के अनुसार खराब होने वाला कैंटर पुराने मॉडलों में से एक है जो बीएस-तीन इंजन पर चल रहा था तथा उद्यान में सफारी वाहनों के बेडे में मारुति जिप्सी और कैंटर दोनों शामिलहैं।

उन्होंने बताया कि बाघ सफारी के लिए 287 कैंटर और 269 मारुति जिप्सी लगी हैं जिन्हें रोस्टर के आधार पर पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराया जाता है।

एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘जब किसी कैंटर का इस्तेमाल आठ-दस साल से ज्यादा कर लिया जाता है तो आमतौर पर उसमें रखरखाव संबंधी दिक्कत आने लगती हैं। हालांकि परिवहन विभाग में इनका पंजीकरण 15 साल तक के लिए वैध होता है लेकिन यह सलाह दी जाती है कि किसी बड़ी समस्या से बचने और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए इन्हें बदल दिया जाए।’

बाघ सफारी में इस्तेमाल होने वाले कैंटर बड़े, खुले छत वाले, डीजल से चलने वाले वाहन होते हैं जिन्हें विशेष रूप से समूह में वन्यजीव पर्यटन के लिए डिजाइन किया गया है। इन वाहनों को आमतौर पर 20 पर्यटक को ले जाने के लिए ‘मॉडिफाई’ किया जाता है ताकि सुरक्षित और आरामदायक तरीके से उद्यान में घूमा जा सके।

बाघ सफारी के लिए कैंटर वाहन लोकप्रिय हैं क्योंकि इनमें मारुति जिप्सी जैसे छोटे वाहनों की तुलना में अधिक पर्यटक बैठक सकते हैं।

रणथंभौर बाघ अभयारण्य के कई कैंटर अब भी बीएस-तीन मानकों वाले इंजनों पर चल रहे हैं और नवीनतम उत्सर्जन मानक (बीएस-चार) को पूरा नहीं करते।

एक पर्यावरणविद ने कहा, ‘यह उद्यान में पर्यटन के पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता का विषय है।’

जयपुर के वन्यजीव कार्यकर्ता हिमांशु जांगिड़ ने कहा, ‘इन पुराने डीजल वाहनों के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बीएस-चार मानक वाले कैंटर अपनाने के कई फायदे हैं जैसे कि ये वाहन उत्सर्जन कम करते हैं, रणथंभौर जैसे उद्यानों को कड़े पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं और पर्यावरण के प्रति जागरूक पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं।’

रणथंभौर में हर साल हजारों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आते हैं।

भाषा पृथ्वी नोमान

नोमान

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