नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने वाली कंपनियों के शीर्ष संगठन ‘इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन’ (आईसीईए) ने मंगलवार को मोबाइल फोन एवं उसके कलपुर्जों को आवश्यक वस्तुओं के लिए आरक्षित पांच प्रतिशत जीएसटी स्लैब में रखने का अनुरोध किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में आठ साल पुरानी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में व्यापक बदलाव की घोषणा की थी। उसके बाद ही आईसीईए ने यह मांग की है।
जीएसटी में प्रस्तावित सुधार के तहत पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो कर स्लैब ही होंगे। इसके अलावा विलासिता एवं नुकसानदेह वस्तुओं पर 40 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव है।
फिलहाल आवश्यक खाद्य पदार्थों/ दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर पांच प्रतिशत, मानक वस्तुओं पर 12 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेवाओं पर 18 प्रतिशत और विलासिता एवं समाज के नजरिये से नुकसानदेह वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
आईसीईए ने एक बयान में मौजूदा 18 प्रतिशत जीएसटी दर को ‘पीछे ले जाने वाला’ बताते हुए आग्रह किया कि मोबाइल फोन और उसके कलपुर्जों को आवश्यक वस्तुओं के लिए आरक्षित पांच प्रतिशत जीएसटी स्लैब में रखा जाए।
उद्योग संगठन ने कहा कि डिजिटल पहुंच के प्रमुख साधन मोबाइल फोन को आगामी जीएसटी सुधार में अनिवार्य वस्तु की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।
आईसीईए के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा, ‘‘मोबाइल फोन अब शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, वित्तीय समावेश और संचालन व्यवस्था के लिए आवश्यक डिजिटल बुनियादी ढांचा है।’’
उन्होंने कहा कि जीएसटी सुधार एजेंडे और 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक परिवेश के दृष्टिकोण के अनुरूप मोबाइल फोन पर पांच प्रतिशत जीएसटी ही लगाया जाना चाहिए।
मोहिंद्रू ने कहा, ‘‘भारत एक समावेशी डिजिटल इंडिया नहीं बना सकता अगर इसे सक्षम बनाने वाला उपकरण ही लाखों लोगों की पहुंच से बाहर रहे। पांच प्रतिशत जीएसटी दर रखने से मोबाइल फोन सस्ते होंगे। इससे मांग को प्रोत्साहन मिलेगा और सार्वभौमिक डिजिटल पहुंच की दिशा में भारत की यात्रा तेज होगी।’’
भाषा रमण प्रेम
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