33.6 C
Jaipur
Wednesday, August 20, 2025

Ethanol blending: फ्यूल में एथनॉल ब्लेंडिंग से क्यों घट रहा है आपकी गाड़ी का माइलेज? जानिए पूरी डिटेल

NewsEthanol blending: फ्यूल में एथनॉल ब्लेंडिंग से क्यों घट रहा है आपकी गाड़ी का माइलेज? जानिए पूरी डिटेल

भारत सरकार की एथनॉल ब्लेंडिंग योजना पर काफी चर्चा हो रही है. इसके अपने फायदे और नुकसान, दोनों हैं. एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम भारत को ऊर्जा, कृषि और आर्थिक सुरक्षा देने के लिए महत्वाकांक्षी कदम बताया जा रहा है, लेकिन इसकी वजह से खाद्य सुरक्षा, पानी की कमी, किसानों में असमान लाभ-वितरण, उपभोक्ताओं पर प्रत्यक्ष आर्थिक फायदा और पर्यावरणीय चिंता जैसी चुनौतियों की बात भी कही जा रही हैं।

एथनॉल मिश्रण (E20) के पक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं कि भारत की कच्चे तेल पर निर्भरता कम होगी, विदेशी मुद्रा की बचत होगी, खेती करने वाले किसानों की आय बढ़ेगी और कार्बन उत्सर्जन भी घटेगा। कई देशों ने इस प्रकार के ब्लेंडिंग से सकारात्मक परिणाम पाए हैं, लेकिन क्या भारत इसके लिए पूरी से तैयार है?

किसानों की आय बढ़ाने का मकसद

बार- बार इस बात को कहा जा रहा है कि भारत ने अपने नेशनल बायोफ्यूल नीति के तहत पेट्रोल में 20% एथनॉल मिलाने का लक्ष्य समय से 5 साल पहले ही हासिल कर लिया है। इसका मकसद किसानों की आय बढ़ाना, पेट्रोलियम आयात कम करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाना है।  सरकार और पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि E20 फ्यूल से गाड़ियों के इंजनों को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचता और प्रदर्शन पर महज 1% से 3% की मामूली कमी आती है, जिससे बड़े स्तर पर कोई चिंता की बात नहीं है।

एथनॉल की लागत पेट्रोल से अधिक

भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों की शीर्ष संस्थाएं जैसे SIAM या ARAI का भी मानना है कि इसके रिजल्ट सकारात्मक ही रहेंगे, लेकिन, एक पहलू यह भी है कि पुराने वाहनों या खासतौर पर गैर-E20 तैयार इंजनों में एथनॉल मिश्रण से माइलेज में 6% तक की गिरावट आती है, तो इंजन की लाइफ पर असर पड़ सकता है। पिछले कुछ वर्षों में एथनॉल की लागत पेट्रोल से भी अधिक हो गई है, जिससे उपभोक्ताओं को कोई बचत नहीं मिलती या दाम अधिक रहते हैं तो इस कार्यक्रम का बड़ा आर्थिक लाभ संदिग्ध रहेगा।

महंगाई बढ़ने की आशंका

कई एक्सपर्ट्स तो इस बात पर भी चिंता जाहिर कर रहे हैं कि अगर अधिक अनाज का उपयोग ईंधन बनाने में किया जाएगा तो गरीबों के लिए खाद्यान्न की उपलब्धता और महंगाई बढ़ सकती है। हालांकि राष्ट्रीय बायोफ्यूल नीति में इस बात पर जोर दिया गया था कि फसल अपशिष्ट या कचरे से एथनॉल बनाया जाए, न कि खाने की फसलों से, ताकि खाद्य सुरक्षा खतरे में न पड़े।

चीन पर भारी निर्भरता

इथेनॉल ब्लेंडिंग को सरकार इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के विकल्प के तौर पर देख रही है। क्योंकि EV (इलेक्ट्रिक वाहन) दीर्घकालिक समाधान हैं, लेकिन उनकी सीमाएं भी हैं। क्योंकि रेयर अर्थ मैटेरियल्स के मामले में चीन पर भारी निर्भरता हैं। EV की बैटरियां और मोटर्स बनाने के लिए जरूरी मैग्नेट का 85-90% आयात भारत चीन से करता है। चीन ने निर्यात पर नियंत्रण बढ़ा दिया है, जिससे सप्लाई प्रभावित हुई है। वहीं, भारत में EV चार्जिंग स्टेशन की संख्या अभी भी कम है; फरवरी 2024 तक केवल 12,146 स्टेशन थे, जबकि 2030 तक डिमांड के अनुसार इसे काफी बढ़ाना पड़ेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1. भारत में Ethanol Blending (E20) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
 पेट्रोल में 20% एथनॉल मिलाने से किसानों की आय बढ़ाना, पेट्रोलियम आयात घटाना और कार्बन उत्सर्जन कम करना मुख्य उद्देश्य है।

Q2. क्या E20 फ्यूल से गाड़ियों के इंजन को नुकसान होता है?
 सरकार और पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि इंजनों पर खास असर नहीं पड़ता, सिर्फ 1-3% तक मामूली परफॉर्मेंस कमी आती है। हालांकि पुराने वाहनों में माइलेज 6% तक घट सकता है और इंजन की लाइफ प्रभावित हो सकती है।

Q3. क्या उपभोक्ताओं को एथनॉल मिश्रण से आर्थिक बचत होगी?
फिलहाल नहीं। एथनॉल की लागत पेट्रोल से अधिक है, जिससे उपभोक्ताओं को सीधी बचत नहीं मिलती।

Q4. क्या Ethanol Blending खाद्य सुरक्षा और महंगाई को प्रभावित कर सकती है?
 हाँ, अगर खाने वाली फसलों से एथनॉल बनाया गया तो गरीबों के लिए खाद्यान्न महंगा और कम उपलब्ध हो सकता है। नीति में ज़ोर है कि एथनॉल फसल अपशिष्ट और कचरे से बने।

Q5. Ethanol Blending को EV (इलेक्ट्रिक वाहन) का विकल्प क्यों माना जा रहा है?
 EV दीर्घकालिक समाधान हैं, लेकिन चीन पर रेयर अर्थ मैटेरियल्स और बैटरियों के लिए भारी निर्भरता है, साथ ही भारत में चार्जिंग स्टेशनों की संख्या अभी बहुत कम है। इस वजह से सरकार Ethanol Blending को एक व्यवहारिक विकल्प मान रही है।

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles