राजस्थान में आरपीएससी की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठते रहे हैं. सरकार बदली, कई महीने बीत गए, लेकिन आयोग की प्रतिष्ठा की बहाली अब तक नहीं हुई है. इन दिनों RAS मैन्स की तारीख बढ़ाने और एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने के मुद्दे पर आयोग घिरा हुआ है. पेपर लीक की घटनाओं ने आयोग पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. इसी बीच आरपीएससी पुनर्गठन का मुद्दा भी फिर जोर पकड़ रहा है. पिछली सरकार में पूर्व सीएम अशोक गहलोत को चुनौती देते हुए जब सचिन पायलट सड़कों पर उतरे तो उन्होंने कहा था कि आरपीएससी का पुनर्गठन होना चाहिए या इसे भंग करके नई व्यवस्था बनानी चाहिए. सरकार को इसमें पारदर्शिता लाने के लिए जिम्मेदारी लेनी होगी. अब सरकार बदल चुकी है, निजाम बदल चुका है और लगता है पायलट नौजवानों के पैरों के छाले की कसमों को भी भूल चुके हैं. पायलट वाले किरदार फिर मंत्री किरोड़ीलाल मीणा भी नजर आए, जिन्होंने अपनी ही सरकार को चुनौती दी. उन्होंने स्वीकार किया कि आरपीएससी में सुधार की जरूरत है, खासकर चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को लेकर. कभी पेपर लीक, कभी भर्ती रद्द के बहाने किरोड़ीलाल मीणा भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उछालते दिखे. इन दिनों हनुमान बेनीवाल ने आंदोलन की लहर में पतवार थाम ली है.
लेकिन इन सबके बीच, सवाल यह है कि आखिर राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के पुनर्गठन से होगा क्या? क्यों आयोग की पुनर्गठन की जरूरत है और क्यों आयोग में यूपीएससी मॉडल लागू करने की बात कही जाती है.
दरअसल पुनर्गठन की जरूरत के लिए हमें आरपीएससी और यूपीएससी के बुनियादी अंतरों को समझना होगा. 1956 में स्थापित राजस्थान लोक सेवा आयोग के लिए सबसे जरूरी मुद्दा है- स्वायत्तता. राज्य सरकार के अधीनस्थ आयोग की स्वायत्तता सीमित है. जबकि यूपीएससी केंद्र सरकार के तहत स्वायत्त और अधिक शक्तिशाली है. यही वजह है कि यूपीएससी में उच्च स्तर की सुरक्षा और पारदर्शिता के साथ ही पेपर लीक की घटनाएं बेहद दुर्लभ ही होती है.
आयोग की तय हो जवाबदेही
ना सिर्फ पुनर्गठन, बल्कि वर्तमान ढांचे में आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल है. परीक्षा कैलेंडर के निर्धारण जैसे मुद्दे अक्सर ही गरमाए रहते हैं. कभी परीक्षा की तारीखों का टकराना तो कभी पेपर लीक जैसे विवाद आयोग को परेशान करता है. भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतों पर कार्रवाई भी बेहद धीमी है. सदस्यों की नियुक्ति भले ही राज्यपाल द्वारा हो, लेकिन राजनीतिक प्रभाव की आशंका पूरी रहती है. दूसरी ओर, यूपीएससी में नियुक्ति प्रक्रिया तेज और सुव्यवस्थित है, एक ऐसी संस्था- जिसकी जवाबदेही के साथ ही मापदंड भी कड़े हैं.
युवाओं का आंदोलन भी जारी है…
जयपुर के शहीद स्मारक से लेकर राजस्थान यूनिवर्सिटी के गेट तक राजस्थान का युवा, भर्ती परीक्षा पर ही आंदोलनरत है. 2 दिन बाद आरएएस मैन्स की परीक्षा की तारीख बढ़ाने को लेकर गतिरोध है. वहीं, पिछली सरकार में एसआई भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की घटनाओं के बाद एग्जाम रद्द करने की भी मांग है. जयपुर ही नहीं, बल्कि जोधपुर, उदयपुर समेत कई शहरों में युवाओं ने “आरपीएससी बचाओ, भ्रष्टाचार हटाओ” के नारे लगाए हैं. बीते कुछ महीनों में कई धरने हो चुके हैं. सत्ता में रहते हुए जिस कांग्रेस ने ठोस कदम नहीं उठाया, वो आज सरकार से एक्शन की मांग कर रही है. जबकि विपक्ष में रहते हुए इसे चुनावी मुद्दा बनाने वाली बीजेपी सत्तासीन होने के बाद चुप्पी साध चुकी है.