इजरायल-ईरान हो या रूस-यूक्रेन वॉर, अक्सर लगता है कि दुनिया के एक कोने में चल रहे जंगी माहौल से हमें क्या. हम कभी इजरायल को समर्थन दे रहे हैं तो कभी ईरान की ओर से दागी जा रही मिसाइलों के दृश्यों का आनंद ले रहे हैं. लेकिन याद रखिए वैश्विकरण के इस दौर में युद्ध दुनिया के किसी भी कोने में हो, वह दूसरे कोने में रह रहे हर एक व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करता है. इजरायल-ईरान जंग में अमेरिका के शामिल होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं. अगर ऐसा हुआ तो ना सिर्फ तबाही आएगी, बल्कि विश्वभर के बाजार मंदी के शिकार हो जाएंगे. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं, वह जान लीजिए.
अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष से दुनिया को महामंदी से भी बदतर आर्थिक तबाही में धकेलने का खतरा है. अगर युद्ध छिड़ता है, तो ईरान मिडिल ईस्ट में तेल और गैस क्षेत्रों को निशाना बना सकता है. खासकर खाड़ी देश, जहां अमेरिकी सैन्य अड्डे हैं, वो भी ईरान के निशाने पर होंगे. इसके अलावा अहम बात यह है कि दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण तेल चोकपॉइंट है- होर्मुज जलडमरूमध्य यानी straits of Hormuz, वह भी बंद हो सकता है. यह रास्ता गैस और तेल के व्यापार के लिए सबसे अहम है. इसी रास्ते से दुनियाभर की 20 फीसदी आपूर्ति होती है. अगर यह बंद हुआ तो गैस-तेल की डिमांड पूरी नहीं हो पाएंगी और ऐसे में कीमतें आसामान छू लेंगी. यानी आपकी गाड़ी में उपयोग में लिया जाने वाला पेट्रोल-डीजल या सीएनजी महंगी होंगी, वो भी अप्रत्याशित तौर पर. भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया, उन्हें 70 फीसदी तेल आपूर्ति के लिए इसी रास्ते पर निर्भर रहना होता है. पर निर्भर हैं – को तत्काल कमी का सामना करना पड़ेगा।
इसे और आसान भाषा में समझिए
– तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं, जो फिलहाल 73 डॉलर है यानी ढाई गुना तक. अगर ऐसा हुआ तो पेट्रोल-डीजल का दाम क्या होगा, खुद ही अनुमान लगा लीजिए.
– ऊर्जा की कीमतें आसमान छूएगी तो खाने-पीने से लेकर जेब पर भार पड़ेगा.
– लाखों प्रवासी श्रमिक (जैसे, यूएई, कतर में) भाग जाएंगे, जिससे यूरोप और एशिया में भारी तबाही मच जाएगी.
वैश्विक आर्थिक मंदी दरवाजे पर है
– शेयर बाजार में गिरावट: खाड़ी बाजार (सऊदी, यूएई, कतर) युद्ध की आशंकाओं के बीच पहले ही 3-7% गिर चुके हैं.
– केंद्रीय बैंक शक्तिहीन हो जाएंगे.
– 1973 में आर्थिक संकट आया था, जिसने दुनिया को हिलाकर रख दिया था. आशंका जताई जा रही है कि इस जंग में अमेरिका के शामिल होने के बाद विनाश के पुराने सभी रिकॉर्ड टूट जाएंगे और हालात 10 गुना बदतर होंगे.
जंग टाली जा सकती है, इसके लिए दुनियाभर के देशों के पास कूटनीतिक समाधान क्या है?
– ईरान के साथ एक नया परमाणु समझौता युद्ध को रोक सकता है, लेकिन ट्रम्प की धमकियां इसके विपरीत संकेत देती हैं. क्योंकि अमेरिका का उद्देश्य ईरान को नष्ट करना है.
– चीन-रूस मध्यस्थता से जंग शांत हो सकती है. क्योंकि ये दोनों देश ईरान के साझीदार होने के साथ ही तेल-गैस के आयात को लेकर चिंतित भी हैं. उनके लिए भी यह ईरान के रास्ते ऊर्जा आपूर्ति बेहद जरूरी है.