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Saturday, July 26, 2025

मल-मूत्र से जलवायु बचाएगा माइक्रोसॉफ्ट! वॉल्टेड डीप से 14,000 करोड़ की ऐतिहासिक डील

OP-EDमल-मूत्र से जलवायु बचाएगा माइक्रोसॉफ्ट! वॉल्टेड डीप से 14,000 करोड़ की ऐतिहासिक डील

मल-मूत्र से जलवायु समाधान! माइक्रोसॉफ्ट करेगा 14 हजार करोड़ रुपए का निवेश, ‘वॉल्टेड डीप’ से की ऐतिहासिक डील

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: दुनिया की प्रमुख टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए एक अनोखी और अभूतपूर्व पहल की है। कंपनी ने अमेरिका की वॉल्टेड डीप नामक स्टार्टअप के साथ एक 1.7 बिलियन डॉलर (लगभग 14,000 करोड़ रुपये) की डील की है, जिसके तहत मानव अपशिष्ट (मल-मूत्र), खाद और सीवेज से कार्बन रिमूवल किया जाएगा।

यह डील माइक्रोसॉफ्ट की अब तक की सबसे बड़ी कार्बन ऑफसेटिंग पहल मानी जा रही है। दोनों कंपनियों के बीच 12 साल (2038 तक) के लिए यह समझौता हुआ है, जिसके तहत लगभग 4.9 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण से हटाया जाएगा।

क्या है ‘वॉल्टेड डीप’ और कैसे हटाती है कार्बन?

वॉल्टेड डीप एक पर्यावरण तकनीक आधारित कंपनी है जो मानव अपशिष्ट को संसाधित कर पृथ्वी की गहराई में इंजेक्ट करती है। इसका उद्देश्य कार्बन को स्थायी रूप से जमीन के भीतर ‘लॉक’ करना है, जिससे वह वातावरण में दोबारा न लौट सके।

इस प्रक्रिया से न केवल कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसे ग्रीनहाउस गैसों में कमी आती है, बल्कि यह भूमि और जल स्रोतों के प्रदूषण को रोकने, और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित करने में भी सहायक होती है।

माइक्रोसॉफ्ट का क्या कहना है?

माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी घोषणा में कहा:

यह डील माइक्रोसॉफ्ट की ‘नेट ज़ीरो एमिशन’ की रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत कंपनी 2030 तक पूरी तरह कार्बन न्यूट्रल बनना चाहती है।

क्यों खास है यह डील?

  • 🌱 इनोवेटिव तरीका: मल-मूत्र और सीवेज का वैज्ञानिक तरीके से उपयोग कर स्थायी कार्बन स्टोरेज।

  • 🌎 जलवायु प्रभाव: 4.9 मिलियन टन CO₂ हटाने का लक्ष्य — यानी लाखों कारों के वार्षिक उत्सर्जन के बराबर।

  • 👷 स्थानीय रोजगार: वेस्ट मैनेजमेंट सेक्टर में नई नौकरियों के अवसर।

  • 🔬 तकनीकी स्थिरता: ग्रीनहाउस गैसों की निगरानी और दीर्घकालिक प्रभाव की क्षमता।

निष्कर्ष:

माइक्रोसॉफ्ट की यह डील केवल पर्यावरणीय नजरिए से नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी एक मॉडल पहल मानी जा रही है। यह दिखाता है कि कचरे में भी समाधान छिपा हो सकता है, बस ज़रूरत होती है सही सोच, तकनीक और निवेश की।

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