बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत जारी किए गए नए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।
सोशल वर्कर योगेंद्र यादव के मुताबिक ड्राफ्ट लिस्ट से 94 लाख वोटर के नाम गायब हो सकते हैं। चुनाव आयोग की प्रेस रिलीज के आंकड़ों के मुताबिक 65 लाख में 22 लाख वोटर मृत पाए गए, 36 लाख का स्थायी रूप से ट्रांसफर हो गया और 7 लाख एक से ज्यादा जगहों पर दर्ज हैं, इसलिए उनके नाम लिस्ट से हटाए गए हैं। बता दें कि आयोग ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों के अनुसार वोटर लिस्ट की ड्राफ्ट सूची जारी की है।
किन जिलों में सबसे ज्यादा कटौती?
राज्य के जिन जिलों में सबसे ज्यादा नाम हटाए गए हैं, उनमें पटना, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर शामिल हैं। इन जिलों में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची की समीक्षा की गई है, जिससे कई विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति पूरी तरह बदल सकती है।
26,000 मतदाताओं के नाम हटाए
बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से हर एक सीट से औसतन 26,000 मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। माना जा रहा है कि इस कटौती से कई सीटों पर चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल सकते हैं। 2020 में हुए चुनाव में जिन दलों और प्रत्याशियों को जीत मिली थी, लेकिन अब नहीं कह सकते हैं कि बिहार चुनाव 2025 में भी वही पार्टी और प्रत्याक्षी दोबारा से जीत हासिल करें?
मुस्लिम-बहुल सीटों पर सबसे ज्यादा कटौती
चुनाव आयोग के डाटा के मुताबिक, सीमांचल, तिरहुत और मिथिला क्षेत्र की कई मुस्लिम-बहुल विधानसभा सीटों पर सबसे अधिक मतदाता सूची से नाम हटाए गए हैं। इनमें पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, कटिहार, मधुबनी और समस्तीपुर जैसे जिलों की कई सीटें शामिल हैं। इन इलाकों में मुस्लिम, दलित और प्रवासी वोटरों की तादाद ज्यादा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कई विधानसभा सीटों पर गणित बिगड़ने वाला है। वोटरों में कटौती का खामियाजा देखा जाए तो साफ तौर पर आरजेडी महागठबंधन को इसका सबसे ज्यादा नुकसान होगा। क्योंकि इनकी मुख्य चुनावी ताकत ग्रामीण, दलित, प्रवासी और मुस्लिम वोटर माने जाते हैं।
एनडीए को फायदा
वहीं दूसरी ओर एनडीए की बात कर ली जाए तो शहरी और घनी आबादी वाले इलाकों में एनडीए को फायदा हो सकता है। कई विधानसभा सीटों में पिछले चुनावों में जीत‑हार का मार्जिन महज कुछ सौ या हजार मतों का था. यदि 3000‑4000 मत कटें हर विधानसभा में तो अब यह परिणामों को पलट सकता है। बिहार की कई विधानसभा सीटों पर 2020 के चुनावों में जीत-हार का अंतर महज 100 से 1000 वोटों के बीच रहा था। अगर हर सीट से औसतन 3000-4000 वोटर हट जाते हैं, तो कई सीटों के चुनावी नतीजे पलट सकते हैं। विशेष रूप से मुस्लिम-बहुल सीटों पर यह बदलाव RJD और कांग्रेस की स्थिति को कमजोर कर सकता है, वहीं NDA को सीधे तौर पर इसका फायदा मिल सकता है।
हो सकता है खेला
बिहार की मुस्लिम बहुल सीटें इस बार के चुनाव में किंगमेकर नहीं, बल्कि गेमचेंजर साबित हो सकती हैं। मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटें जहां मुस्लिमों की तादाद 40 प्रतिशत से अधिक रही है, वहां इस बार बड़ा खेल देखने को मिल सकता है।
इन विधानसभा सीटों पर हो सकता है खेला
- अमौर
- जोकीहाट
- बहादुरगंज
- बैसी
- कोचाधामन
- किशनगंज
- अररिया
- बलरामपुर
- चैनपुर
- कदवा
- कस्बा
- कांटी
- नरकटिया
- नाथनगर
- रफीगंज
- समस्तीपुर
- सिमरी बख्तियारपुर
- छातापुर
- ठाकुरगंज