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Saturday, August 9, 2025

‘डेड इकॉनमी’ वाले बयान पर गरमाई सियासत, अब थरूर ने कह दी ऐसी बात, देखती रह गई कांग्रेस

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पुणे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत को ‘‘मृत अर्थव्यवस्था’’ कहने संबंधी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी का मकसद ‘‘अपमान’’ करना था और इसे ‘‘शाब्दिक रूप से’’ नहीं लिया जाना चाहिए। थरूर ने कहा कि जब कुछ सबसे बड़ी शक्तियों की सक्रिय भागीदारी से युद्ध लड़े जा रहे हैं और जिन लोगों से वैश्विक व्यवस्था को कायम रखने की अपेक्षा की जाती है, वे अव्यवस्था को बढ़ावा देने में योगदान दे रहे हैं तो भारत को अपने राष्ट्रीय हितों के बारे में बहुत स्पष्ट होने की जरूरत है।

शशि थरूर ने पुणे में ‘क्रॉसवर्ड’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आकाश गुप्ता के साथ बातचीत में अपनी नवीनतम पुस्तक ‘द लिविंग कॉन्स्टिट्यूशन’ सहित कई मामलों पर बात की। ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने तथा रूस से सैन्य उपकरण एवं कच्चा तेल खरीदने पर अतिरिक्त जुर्माना लगाए जाने की पिछले सप्ताह घोषणा करते हुए भारत को एक ‘‘मृत अर्थव्यवस्था’’ कहा था।

ट्रंप के बारे में मैं कहना चाहता हूं

थरूर ने कहा कि खासकर जब ट्रंप ‘व्हाइट हाउस’ (अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) में हैं तो ऐसे समय में यह एक अशांत और अप्रत्याशित दुनिया है। उन्होंने कहा, ‘‘ट्रंप के बारे में मैं कहना चाहता हूं कि आप उनकी बातों को शाब्दिक रूप से नहीं ले सकते लेकिन आपको उन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत है। वह अमेरिका के राष्ट्रपति हैं और उनके फैसले नीतियों को प्रभावित कर सकते हैं और नीतियां हमें प्रभावित कर सकती हैं।

स्कूली बच्चा कहे आपकी मां बदसूरत

इसलिए उन्हें गंभीरता से लें लेकिन उनकी हर बात को शाब्दिक रूप से न लें। जब वह कहते हैं कि आपकी अर्थव्यवस्था मृत हो चुकी है तो यह ऐसा है जैसे कोई स्कूली बच्चा खेल के मैदान में कहे कि आपकी मां बदसूरत है। आपको इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। इसका मकसद अपमान करना है, इसे शाब्दिक रूप से नहीं लिया जाना चाहिए।’’

थरूर ने कहा कि पिछले छह महीने में ट्रंप की शुल्क नीतियों के असर ने पूरी दुनिया को पीछे धकेल दिया है और भारत को भी दो-तीन दिन पहले थोड़ा झटका लगा था। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उबरना होगा क्योंकि अमेरिका के साथ संबंध हमारे लिए इतने महत्वपूर्ण हैं कि हम इन्हें आगे बढ़ाने के लिए वास्तविक प्रयास करना चाहते हैं।

रणनीतिक साझेदारी से भी

जब मैं अमेरिका के साथ संबंधों की बात कर रहा हूं तो मेरा मतलब केवल व्यापारिक संबंध से नहीं है, रणनीतिक साझेदारी से भी है। इसलिए मुझे लगता है कि अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है। उन्होंने कहा कि मौजूद वैश्विक परिदृश्य में भारत का पहला और सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित अपने लोगों, भारतीय जनता की भलाई है।

दोनों तरफ से खतरा पैदा

थरूर ने कहा, ‘‘और इसका अर्थ हमारे विकास, हमारी समृद्धि, आपसी सद्भाव, एक-दूसरे के साथ हमारे सह-अस्तित्व और साथ ही हमारी उन सीमाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना है जिन्हें हाल में चीन और पाकिस्तान, दोनों तरफ से खतरा पैदा हुआ है। हमें अपने विकास और वृद्धि की व्यापक कहानी को खतरे में डाले बिना अपनी रक्षा करने के लिए मजबूती से तैयार रहना होगा।’’ उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भारत को रचनात्मक भूमिका निभानी होगी।

हुक्म चला सकें या हमें दबा सकें

थरूर ने कहा कि, ‘‘हमें नियम बनाने वालों में शामिल होना होगा, न कि सिर्फ नियम का पालन करने वालों में। हमें एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनना होगा ताकि हम ऐसी स्थिति में न रहें जहां दूसरे हम पर हुक्म चला सकें या हमें दबा सकें।

तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

हमारी विश्वसनीयता मायने रखती है। हमारा पहले से ही दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। हम पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। इन सभी परिस्थितियों में हम महत्व रखते हैं। हमें महत्व दिया जाना चाहिए लेकिन साथ ही हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारा महत्व किस बात के लिए हो।’’

लोगों के लिए कैसे खड़ा होना है

थरूर ने कहा कि भारत अपने हितों और इस बात को लेकर पहले से ही स्पष्ट है कि उसे अपने लोगों के लिए कैसे खड़ा होना है इसलिए देश अपनी क्षमता एवं कौशल के साथ इस अनिश्चितता से निपट लेगा। उन्होंने कहा कि वह देश के राजनयिकों से यही अपेक्षा रखते हैं।

हमारी बैठकें बहुत अच्छी और प्रभावी

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी देने के लिए उनके नेतृत्व में अमेरिका गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे डी वेंस के साथ उनकी बैठक के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘हमारी बैठकें बहुत अच्छी और प्रभावी रहीं क्योंकि न केवल हमारे संदेश को अच्छी तरह से सुना गया, बल्कि इसे सहानुभूति, समझ और सम्मान के साथ हमारे सामने दोहराया गया।’’

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