Russia, China & India: ट्रंप की टैरिफ नीति के चलते पूरी दुनिया में समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव एशिया पर दिख रहा है. रूस के साझीदार देश भारत और चीन, अमेरिका के निशाने पर है. भारत पर भारी-भरकम टैरिफ के बावजूद भी रूस के साथ दोस्ती मजबूत होती जा रही है. ग्लोबल टाइम्स ने भी चीन-भारत के बीच रिश्तों में बेहतरी के साथ रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय सहयोग के एक सिस्टम की वकालत की है. ग्लोबल टाइम्स के लेख के मुताबिक, भारत, चीन और रूस जैसी शक्तियों को अब न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए, बल्कि अधिक शांतिपूर्ण, न्यायसंगत और समतावादी विश्व को आकार देने के लिए भी सहयोग करना चाहिए. ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि आरआईसी मंच केवल एक कूटनीतिक तंत्र नहीं है; यह एक ऐसी दुनिया के निर्माण का आह्वान है, जिस पर हमारी पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियां गर्व कर सकें.
अब इसके पीछे की वजह को समझिए
तीनों देश ही एक वास्तविक बहुध्रुवीय अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के प्रमुख समर्थक हैं. अमेरिका के एकतरफा दबाव का सामना कर रही प्रमुख शक्तियों के वैश्विक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए साथ आने बात कही है. ट्रेड वॉर के दौरान रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ज़ोर दिया, “रणनीतिक स्वायत्तता” और “बहुध्रुवीयता” की खोज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है.
ग्लोबल टाइम्स के इस लेख में यह भी कहा गया, “आरआईसी को फिर से शुरू करने की कुंजी भारत के पास है, जो प्राथमिक चुनौती और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है.”
RIC का क्या है भविष्य?
आरआईसी का भविष्य अंततः इस बात पर निर्भर करता है कि क्या चीन और भारत ऊर्जा से परे व्यापक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए पर्याप्त आपसी विश्वास का निर्माण कर सकते हैं? चीन-भारत संबंधों में लगातार तनाव और पश्चिम के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधों को देखते हुए, आरआईसी का आगे का रास्ता अनिवार्य रूप से सतर्क, व्यावहारिक और चुनौतियों से भरा होगा.
SCO समिट के लिए क्या कहा जा रहा है?
फिर भी, चीन-भारत संबंधों में मधुरता के संकेत सकारात्मक हैं- शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से पहले भारत के रक्षा और विदेश मंत्रियों की पारस्परिक यात्राएं, चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीज़ा की बहाली और सीधी उड़ानों की शीघ्र पुनः शुरुआत को एक बुनियादी राजनीतिक माहौल के तौर पर देखा जा रहा है.